कृतिका नक्षत्र में कार्तिक पूर्णिमा 23 को, ऐसे मिलेगी पापों से मुक्ति

पटना। सनातन धर्मावलंबी के सबसे पुण्यकारी माह के पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा है। जो आगामी 23 नवंबर दिन शुक्रवार को कृतिका नक्षत्र और परिघ योग के साथ ग्रह-गोचरो के शुभ संयोग में मनायी जाएगी। भारतीय संस्कृति में कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक एवं आध्यात्मिक माहात्म्य है। कार्तिक पूर्णिमा को काशी में देवताओं की दीपावली के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कई धार्मिक आयोजन, पवित्र नदी में स्नान, पूजन और दान -धर्म का विधान है। वर्ष के बारह मासों में कार्तिक मास आध्यात्मिक एवं शारीरिक ऊर्जा संचय के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। श्रद्धालु पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद श्री सत्यनारायण की कथा का श्रवण, गीता पाठ, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करके पापमुक्त-कर्जमुक्त होकर भगवान विष्णु की कृपा पाते हैं।

कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की अपार कृपा बरसती है। इस दिन गंगा स्नान से शरीर में पापों का नाश एवं सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इसी दिन भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार मत्स्य अवतार के रूप में लिए थे। इस दिन श्रीकेशव के निकट अखण्ड दीप दान करने से दिव्य कान्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही जातक को धन, यश, कीर्ति का लाभ भी मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था। इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान करना दस यज्ञों के समान होता है। इस दिन अन्न, धन, वस्त्र, घी आदि दान करने से कई गुना फल मिलता है।

गंगा स्नान से मिलता है पूरे वर्ष का फल

ज्योतिषी राकेश झा शास्त्री के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा हमें देवों की उस दीपावली में शामिल होने का अवसर देती है, जिसके प्रकाश से प्राणी के भीतर छिपी तामसिक वृतियों का नाश होता है। इस माह की त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को पुराणों ने अति पुष्करिणी कहा है। पंडित झा ने स्कंद पुराण के हवाले से बताया कि जो प्राणी कार्तिक मास में प्रतिदिन स्नान करता है, वह यदि केवल इन तीन तिथियों में सूर्योदय से पूर्व स्नान करे तो भी पूर्ण फल का भागी हो जाता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा, त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है। इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। घर पर स्नान करने वाले जातक पानी में गंगाजल और हाथ में कुश लेकर स्नान करे उससे भी गंगा स्नान का ही फल मिलता है। इस पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप-दान, हवन, जाप आदि करने से सांसारिक पाप और ताप दोनों का नाश होता है।

ब्रह्म सरोवर का अवतरण हुआ था

पटना के ज्योतिष विद्वान पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्मा जी का ब्रह्म सरोवर पुष्कर में अवतरण हुआ था। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लाखों तीर्थ यात्री पुष्कर आते हैं, पवित्र पुष्कर सरोवर में स्नान कर ब्रह्मा जी के मंदिर में पूजा करते हैं दीपदान करते हैं। एक कथा यह भी प्रचलित है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया, जो शिव के अनेक नामों में से एक है।

इसी दिन हुआ था त्रिपुरासुर का अंत

पंडित झा के अनुसार त्रिपुरासुर नाम के दैत्य के आतंक से तीनों लोक भयभीत थे। त्रिपुरासुर ने स्वर्ग लोक पर भी अपना अधिकार जमा लिया था। त्रिपुरासुर ने प्रयाग में काफी दिनों तक तप किया था। उसके तप से तीनों लोक जलने लगे। तब ब्रह्मा जी ने उसे दर्शन दिए, त्रिपुरासुर ने उनसे वरदान मांगा कि उसे देवता, स्त्री, पुरुष, जीव, जंतु, पक्षी, निशाचर न मार पाएं। इसी वरदान से त्रिपुरासुर अमर हो गया और देवताओं पर अत्याचार करने लगा। सभी देवताओं ने मिलकर ब्रह्मा जी से इस दैत्य के अंत का उपाय पूछा, ब्रह्मा जी ने देवताओं को त्रिपुरासुर के अंत का रास्ता बताया। देवता भगवान शंकर के पास पहुंचे और उनसे त्रिपुरासुर को मारने के लिए प्रार्थना की। तब महादेव ने त्रिपुरासुर के वध का निर्णय लिया। महादेव ने तीनों लोकों में दैत्य को ढूंढ़ा। कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने प्रदोष काल में अर्धनारीश्वर के रूप में त्रिपुरासुर का वध किया। उसी दिन देवताओं ने शिवलोक यानि काशी में आकर दीपावली मनाई थी। इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है।

कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की मिलेगी कृपा

कार्तिक महीना भगवान कार्तिकेय द्वारा की गई साधना का माह माना जाता है। इसी कारण इसका नाम कार्तिक महीना पड़ा। नारद पुराण के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर संपूर्ण सद्गुणों की प्राप्ति एवं शत्रुओं पर विजय पाने के लिए कार्तिकेय जी के दर्शन करने का विधान है। पूर्णिमा को स्नान अर्घ्य, तर्पण, जप-तप, पूजन, कीर्तन एवं दान-पुण्य करने से स्वयं भगवान विष्णु पापों से मुक्त करके जीव को शुद्ध कर देते हैं।

ऐसे करे कार्तिक पूर्णिमा को दीपदान

पंडित झा ने कहा कि कार्तिक मास में दीप दान करने के भी नियम हैं। दीप दान किसी नदी में, किसी मंदिर, पीपल, चौराहा, किसी दुर्गम स्थान आदि में करना चाहिए। भगवान विष्णु को ध्यान में रखकर किसी स्थान पर दीप जलाना ही दीपदान कहलाता है। दीप दान का आशय अंधकार मिटाकर उजाले के आगमन से है। मंदिरों में दीप दान अधिक किए जाते हैं। इस दिन दीप दान का विशेष पुण्य फल है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही संध्या काल में भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। इसलिए इस दिन विष्णु जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप दान का पुण्य फल दस यज्ञों के बराबर होता है।

कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

ज्योतिषी पंडित राकेश झा ने बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार 23 नवंबर दिन शुकवार को पूर्णिमा दोपहर 11:59 बजे तक है। वहीं बनारसी पंचांग के अनुसार 11:46 बजे तक है तथा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:14 बजे से 11:57 बजे तक है। वहीं गुली काल मुहूर्त प्रातः 07:34 बजे से 08:55 बजे तक है। पंडित झा ने कहा कि उद्यातिथि के मान से पुरे दिन पूर्णिमा तिथि का मान रहेगा और पुरे दिन गंगा स्नान और विष्णु पूजन होंगे।

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