मिथिला विवि पंचाग में 28 को 35 घंटे व बनारसी पंचांग में 29 को 24 घंटे का होगा जिउतिया व्रत

  • संतान की दीर्घायुष्य व वंश वृद्धि के लिए 35 घंटे का निर्जला जिउतिया करेंगी महिलाएं

पटना। चन्द्रोदयव्यापिनी और सूर्योदयव्यापिनी के कारण जिउतिया (जीवित्पुत्रिक व्रत) को लेकर पंचांगों में एकमत नहीं हैं। इस वजह से इस बार जिउतिया व्रत दो दिनों का हो गया है। ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि बनारसी पंचांग से अनुसार श्रद्धालु 29 सितंबर (बुधवार) को जिउतिया व्रत करेंगे और गुरुवार 30 सितंबर की सुबह पारण करेंगे। वहीं मिथिला के विश्वविद्यालय पंचांग के मुताबिक व्रती 28 सितंबर (मंगलवार) को व्रत रखेंगे और 29 सितंबर की शाम 05:04 बजे पारण करेंगे। इसी वजह से बनारसी पंचांग के अनुसार जीतिया या जिउतिया व्रत 24 घंटे का है और मिथिला विश्विविद्यालय पंचागानुसार व्रती 35 घंटे का व्रत रखेंगे। आश्विन कृष्ण अष्टमी 28 सितंबर को अष्टमी तिथि अपराह्न 03:15 बजे से आरंभ है तथा 29 सितम्बर को शाम 05:04 बजे तक है।
संतान, सौभाग्य व वंश वृद्धि के लिए जिउतिया व्रत
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने कहा कि मातायें अपने पुत्रों की मंगल कामना एवं दीघार्युष्य के लिए जीवत्पुत्रिका (जीउतिया) का व्रत वंश वृद्धि व संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। सनातन धर्मावलंबियों में इस व्रत का खास महत्व है। मंगलवार के दिन जिउतिया व्रत होने से इसकी महत्ता और बढ़ गयी है। इस दिन माता लक्ष्मी और मां दुर्गा का पूजा करने का भी विधान है। इस पावन दिवस में कुश से जीमूतवाहन की मूर्ति बनाकर पूजा करने के बाद माताएं ब्राह्मण या योग्य पंडित से जीमूतवाहन की कथा सुनकर उनको दक्षिणा प्रदान करेंगी क गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद मड़ुआ रोटी, नोनी का साग, कंदा, झिमनी, करमी आदि का सेवन करेंगी। व्रती स्नान-भोजन के बाद पितरों की पूजा भी करेंगी। इस महाव्रत का पारण व्रती महिलाएं केराव से करेंगी। इस व्रत के पारण से पूर्व अन्न का दान करने से विपन्नता का नाश होता है, साथ ही धन-धान्य की वृद्धि भी होती है।
सरगही-ओठगन सोमवार की रात्रि में
पंडित गजाधर झा ने कहा कि मिथिला पंचांग के अनुसार आश्विन कृष्ण सप्तमी सोमवार 27 सितंबर के रात में लगभग 4 बजे यानि सूर्योदय के पहले व्रती सरगही-ओठगन करेंगी। व्रत करने वाली महिलाएं इस समय चाय, शरबत, मिष्ठान्न, ठेकुआ, पिरकिया, दही-चुरा आदि ग्रहण करके पुनीत व्रत का महा संकल्प लेंगी। वही 29 सितंबर को व्रत करने वाले श्रद्धालु 28 की रात में सरगही करेंगी।
मड़ुआ रोटी, नोनी साग के सेवन की महत्ता
महिलाएं संतान के लिए मड़ुआ रोटी, नोनी साग के सेवन करती हैं। मड़ुआ एवं नोनी साग उसर भूमि में भी उपजता है क इसी प्रकार उनकी संतान की सभी परस्तिथियों में रक्षा होगी। जिस प्रकार नोनी का साग दिनों-दिन विकास करता है, उसी प्रकार उनके वंश में भी वृद्धि होता है, इसीलिए जीउतिया के नहाय-खाय के दिन इसके सेवन का विधान है।
भोलेनाथ ने सुनायी थी माता पार्वती को कथा
पंडित शास्त्री के मुताबिक जीमूतवाहन कि कथा सबसे पहले भोलेनाथ ने माता पार्वती को सुनायी थी। इस कथा में एक चूल्होरिन और सियारिन के द्वारा इस व्रत को करने का वर्णन है। इन दोनों ने जीमूतवाहन का व्रत रखा पर सियारिन को भूख बर्दाश्त नहीं हुई और उसने मांस का भोजन कर लिया। अगले जन्म में दोनों एक ब्राह्मण की पुत्री के रूप में जन्म लिया। चूल्होरिन (अब शीलावती) की शादी उस नगर के राजा के यहां कार्यरत मंत्री से हुई और सियारिन (अब कर्पूरावती) की शादी नगर के राजा मलयकेतु के साथ विधि-विधान से हुई। दोनों बहनों को सात-सात पुत्र हुए लेकिन सियारिन के सातों पुत्रों की मृत्यु हो गई और चूल्हारिन के जीवित रहे, बाद में इसका कारण जानने पर आत्मग्लानि से कर्पूरावती ने प्राण त्याग दिए।
जिउतिया एक नजर में
मिथिला पंचांग के अनुसार -35 घंटे (प्रदोष काल में अष्टमी)
सरगही/ओठगन- सोमवार 27 सितंबर
जिउतिया व्रत-उपवास – मंगलवार 28 सितंबर
पारण- बुधवार 29 सितंबर की शाम 05:04 के बाद
बनारसी पंचांग के मुताबिक -24 घंटे (उद्यातिथि अष्टमी)
नहाय-खाय व सरगही – मंगलवार 28 सितंबर
जिउतिया उपवास- बुधवार 29 सितंबर
पारण- गुरुवार 30 सितंबर को सूर्योदय के बाद

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