कारोना से मरने वाले लोगों के परिवारों की मदद को आगे आई बिहार सरकार, दिए जाएंगे चार लाख रुपये

पटना । बिहार सरकार कोरोना से मरने वाले आश्रित परिवारों की मदद के लिए आगे आई है। सरकार ने कहा है कि अगर किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति का इलाज के दौरान रिपोर्ट निगेटिव आता है और इस बीच उसकी मौत हो जाती है तो उसे भी सरकार की तरफ से चार लाख रुपये दिए जाएंगे। हालांकि बिहार में इससे पहले कोरोना से मरने वालों के परिजनों को अनुग्रह अनुदान के लिए 300 करोड़ की स्वीकृति को सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी गई। इसके तहत कोरोना मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख अनुदान का भुगतान राज्य संसाधन से करने की भी स्वीकृति दी गई।

बालकों की देखरेख व संरक्षण के लिए बनाए गए कानून के तहत अनाथ बच्चों को दी जानेवाली सुविधाएं अब कोविड-19 महामारी से अनाथ हुए बच्चों को भी मिलेंगी। कोरोना संक्रमण की से जिन बच्चों के माता-पिता की मौत हो गई है उनकी सहायता के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किया है। ऐसे किसी बच्चे की सूचना तुरंत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को देनी होगी। नियमानुसार इन बच्चों को 24 घंटे के भीतर जिला के बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। ताकि उनकी देखभाल को लेकर समिति आदेश पारित कर सके।

कोरोना से माता-पिता दोनों की मौत के चलते कई बच्चों के अनाथ हो गए हैं। इसके मद्देनजर ऐसे बच्चों की देखरेख और संरक्षण के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने राज्यों को कार्रवाई के लिए कहा है। इसके बाद सीआईडी के कमजोर वर्ग ने सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को पत्र लिखा है। किशोर न्याय अधिनियम के तहत अनाथ बच्चों को देखरेख व संरक्षण की आवश्यकता वाला बालक माना जाता है। ऐसे बच्चों को 24 घंटे के भीतर जिले के बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करना जरूरी होता है। ताकि बच्चे की देखरेख एवं संरक्षण के लिए जिला बाल कल्याण समिति जरूरी आदेश पारित कर सके। इस व्यवस्था में कोरोना से अनाथ हुए बच्चे भी अब आएंगे।

बाल कल्याण समिति के आदेश के बाद उन्हें बाल गृह या समाज कल्याण विभाग की ओर से अधिसूचित स्थानों पर रखा जा सकता है। कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों की सूचना राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी देनी होगी। ईमेल या आयोग के दूरभाष पर इस बाबत सूचित करने का अनुरोध किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि बच्चों की सहायता और उनका संरक्षण किया जा सके।

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