राजधानी के बाजारों में गणेश चतुर्थी की धूम : विघ्नहर्ता की छोटी मूर्ति बनी पहली पसंद, मांग बढ़ने से कीमत 25 फ़ीसदी तक बढ़ी

पटना। राजधानी में गणेश उत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में है। 31 अगस्त से शुरू हो रहे पर्व के लिए दो साल बाद मूर्तिकार इस बार बड़े आकार के बदले छोटे साइज में बप्पा की प्रतिमा तैयार करने में जुटे हैं। मूर्तिकारों को कहना है कि छोटे आकार की मूर्तियां लोगों की पहली पसंद बन रही है। शाइनिंग के लिए फ्लोरोसेंट कलर्स का ही चलन है। कोरोना से उबरने के बाद इस वर्ष बड़े आकार की मूर्तियों का भी निर्माण हो रहा है। शहर के बेली रोड में कई जगह मूर्तियों काे गढ़ा जा रहा है। वही गणेश चतुर्थी के आते ही दो से तीन दिन पहले मार्केट में छोटी-छोटी प्रतिमाओं की बिक्री शुरू हो जाती है। इस साल मूर्तियों के निर्माण पर भी महंगाई का असर साफ देखा जा सकता है। वही पिछले दो साल के मुकाबले इस बार कच्चे माल सहित रंग-रोगन की कीमतों में 20-25 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। वही इस बार गूगल का सहारा लेकर बप्पा की मूर्तियों में नया रूप देने का प्रयास किया है। 200 से पांच हजार रुपये के रेंज में मूर्तियां उपलब्ध है।
बड़ी मूर्तियों की मांग कम
जानकारी के अनुसार, दो साल बाद इस वर्ष अधिक मूर्तियां बिकने की उम्मीद है। लेकिन अतिक्रमण के नाम पर मूर्तिकारों को तंग किया जा रहा है। मूर्तियां ढंगा से सूख नहीं पा रही हैं। 20 सालों से हम लोग यहां मूर्तियां बनाकर घर-परिवार चला रहे हैं।
मुंबई से आ रही लालबाग के राजा की प्रतिमा
महाराष्ट्र मंडल में कोरोना के बाद 52वां गणेश उत्सव सात दिन तक मनाया जायेगा। इस बार 31 अगस्त को गणेश उत्सव है। लालबाग के राजा की 5।5 फुट की प्रतिकृति मुंबई से आयेगी। यह जानकारी महाराष्ट्र मंडल के सचिव संजय भोंसले ने गुरुवार को दी। उन्होंने बताया कि मुंबई के बांद्रा से नामी मूर्तिकार दीपक घोटनकर ने प्रतिमा तैयार की है। महाराष्ट्र के प्रसिद्ध वेदमूर्तीप्रशांत जागीरदार पांच पंडितों की मौजूदगी में मूर्ति स्थापना करेंगे। भोंसले ने बताया कि 31 को सुबह 9:30 बजे कलश स्थापना व प्राणप्रतिष्ठा की जायेगी। 11 बजे महाराष्ट्र मंडल द्वारा 11 देवी-देवताओं का आरती समूह बनाया जायेगा।

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