नई तकनीकों के इस्तेमाल से कृषकों और पशुपालकों की आय में होगी वृद्धि : उपमुख्यमंत्री

  • देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड में हुआ विभिन्न संयंत्रों का उद्घाटन

पटना। दुग्ध उत्पादकों को बेहतर तकनीक प्रदान करने के उद्देश्य से शनिवार को बरौनी डेयरी परिसर के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा विभिन्न संयंत्र का उद्घाटन किया गया। इस मौके पर अपने संबोधन में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि केंद्र और बिहार सरकार दुग्ध उत्पादकों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। अपनी प्रतिबद्धता को साबित करते हुए आज बरौनी डेयरी के प्रांगण में साइलेज निर्माण संयंत्र, एकीकृत डेयरी फार्मिंग मॉडल इकाई, स्लरी प्रबंधन संयंत्र, बीज प्रसंस्करण संयंत्र तथा जैविक खाद बिक्री केंद्र की स्थापना की गई है, जिसका उद्घाटन हुआ है।
उन्होंने कहा कि दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य एवं उत्पादकता को बहाल रखते हुए उनके राशन में आवश्यक तत्वों का समावेश आवश्यक होता है, ताकि पशु से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सके। इस उद्देश्य को लेकर भारत सरकार एवं राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के वित्तीय सहयोग से 1.60 करोड़ रुपये की लागत पर 10 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता का बीज प्रसंस्करण संयंत्र एवं 450 मीट्रिक टन के भंडार का निर्माण किया गया है, जो इस क्षेत्र में चारा बीज उत्पादन की वृद्धि में सहायक होगा और बिहार चारा बीज के उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि साइलेज निर्माण के माध्यम से सभी हरा चारा को, जिनमें स्टार्ट की मात्रा अधिक होती है, उन्हें लंबी अवधि तक संरक्षित रखा जा सकता है। इस नई तकनीक से अधिक फाइबर युक्त हरा चारा पशुओं को सुलभ हो पाता है।
उन्होंने आभार प्रकट करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा एमपी लैड निधि से 25 लाख रुपए के अनुदान पर इस नवीन पद्धति के तहत साइलेज निर्माण कराया गया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एकीकृत डेयरी फार्मिंग के तहत मुख्य उत्पाद को बेचा जा सकता है एवं उप-उत्पादों (बाई प्रोडक्ट) का प्रयोग दूसरी प्रणाली के इनपुट के रूप में किया जा सकता है। इसके उपयोग से लागत खर्च में भारी कमी आती है एवं पूरे वर्ष प्रतिदिन आय के साधन भी पशुपालकों को उपलब्ध रहते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे पशुपालक भाई वर्तमान में पशुओं से प्राप्त होने वाले गोबर का उचित उपयोग नहीं कर पाते। नई तकनीक के द्वारा स्लरी प्रसंस्करण इकाई की स्थापना से जैविक खाद, केमिकल, फर्टिलाइजर पर किसानों की निर्भरता को कम करने के अतिरिक्त पर्यावरण की सुरक्षा में भी मददगार होगी। गोबर के उचित उपयोग की यह प्रणाली न केवल पशुपालकों को गोबर गैस के रूप में जलावन का विकल्प उपलब्ध कराएगी, बल्कि स्लरी से आय भी प्राप्त करेंगे।

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