सीएम नीतीश के समक्ष अग्निपरीक्षा,आत्ममुग्ध अधिकारियों के भरोसे रहें तो हो सकती है किरकिरी,लाखों की संख्या में आ रहे हैं प्रवासी बिहारी

पटना।(बन बिहारी)केंद्र सरकार द्वारा लॉक डाउन के नियमों में छूट देते हुए बाहर फंसे प्रवासी बिहारियों के बिहार लौटने के लिए विशेष ट्रेनें चलाने के बाद आज प्रवासी बिहारियों का पहला जत्था पटना का दानापुर स्टेशन पहुंच गया।इसके साथ ही बिहार की नीतीश सरकार के लिए अग्नि परीक्षा का दौर आरंभ हो चुका है।आंकड़ों के मुताबिक लाखों की संख्या में बिहार के बाहर अन्य राज्यों में लॉक डाऊन के दौरान फंसे बिहारियों के बिहार आने की संभावना है।ऐसे में बिहार सरकार के लिए अधिक कठिन परिस्थितियों का सामना करना लाजमी है।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भली भांति जानते हैं कि यह एक बड़ी चुनौती है।इसके पूर्व कई मामलों में नीतीश सरकार अपनी 2005-10 के कार्यकाल के विपरीत ‘फेल’ होती हुई नजर आई है।दरअसल,मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में राज्य में ब्यूरोक्रेसी का बोलबाला है,ऐसे में योजनाओं का निर्माण तथा उसके धरातल में सफलतापूर्वक उतारे जाने के बीच हमेशा सरकारी तंत्र के भीतर घमासान छिड़ा रहता है।’आई वॉश’ के तौर पर योजनाएं सफल नजर आती है।मगर धरातल में अक्सर नीतीश सरकार धोखा खा जाती है।विगत 3 वर्षों के दौरान संभवत हर मोर्चे पर नीतीश सरकार के आत्ममुग्ध अधिकारियों के कारण सरकार की किरकिरी हुई है।यहां तक कि सरकार को अपने ही गठबंधन के दलों तथा अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं की आलोचना का भी सामना करना पड़ गया है।वर्तमान में प्रदेश के क्वॉरेंटाइन सेंटरों की हालत किसी से छिपी हुई नहीं है।ऐसे में लाखों की संख्या में जब प्रवासी बिहारियों का जत्था बिहार पहुंचेगा।तब क्वारेंटाईन सेंटरों तथा आइसोलेशन सेंटरों को लेकर बिहार सरकार की तैयारी का अग्नि परीक्षण संभव है।हालांकि सरकार ने बढ़-चढ़कर सफलता के दावे तो जरूर किए हैं।मगर आने वाले कुछ दिन प्रदेश के आम जनों के साथ सरकार के लिए बेहद चुनौतियों से भरा हुआ रहेगा।प्रदेश के कई क्वॉरेंटाइन सेंटर के वीडियो वायरल हो चुके हैं।जो वहां व्याप्त अव्यवस्था एवं संसाधन हीनता को साबित कर चुके हैं।गया में ऐसे ही एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के वीडियो आने पर वहां के हेल्थ सुपरवाइजर समेत प्रभारी को निलंबित किया गया था। गोपालगंज,बेतिया समेत कई जिलों से क्वारेंटाईन सेंटर की वीडियो के माध्यम से सच्चाई सामने आ चुकी है। ऐसे में प्रदेश सरकार के लिए यह बेहद चुनौती भरा समय है।सरकार के गतिविधियों की समीक्षा करने वाले विशिष्ट समीक्षकों का मानना है कि अगर इस बार भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने आत्ममुग्ध अधिकारियों पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं।तो उन्हें बड़े धोखे का सामना करना पड़ सकता है।जानकार बताते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेहद संजीदगी के साथ चुनौतियों से निपटने की तैयारी में लगे हुए हैं।मगर प्रदेश में व्याप्त करप्ट ब्यूरोक्रेसी संभवतः सीएम नीतीश के अरमानों पर पानी फेर सकती है।इसके पूर्व भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने अनुभवहीन अधिकारियों के किए का खामियाजा भुगतना पड़ा है।विपक्ष भी पूर्व की तरह हमलावर हैं।केंद्र सरकार से अपेक्षित सहयोग अब तक तो मिला नहीं। ऐसे में सीएम नीतीश के समक्ष सही मायने में अग्नि परीक्षा का दौर आरंभ हो चुका है।

      इसके पूर्व सीएम नीतीश कुमार ने कोरोना संक्रमण को गंभीरता से लेते हुए बिहार सरकार के तमाम अलाधिकारियों को कड़े दिशा निर्देश जारी किए हैं। उन्होनें कहा है कि कोरोना के मामले में  कोई भी कोताही नहीं बरती जानी चाहिए। सीएम ने स्थिति की समीक्षा करते हुए कई निर्देश जारी किए हैं। उन्होनें कहा कि सरकार को हर बिहारियों की चिंता है। वहीं बिहार सरकार ने लॉकडाउन के विस्तार के साथ राहत की रणनीति भी बदल दी है। 

      सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के बिहार आने की संभावना को देखते हुए प्रखंड और पंचायत स्तर पर गुणवत्तापूर्ण क्वारंटीन सेंटर बनाने का निर्देश दिया है। उन्होनें कहा कि रेलवे स्टेशन से संबंधित जिला मुख्यालय तक और संबंधित जिला मुख्यालय से संबंधित प्रखंड मुख्यालय तक  लोगों को पहुंचाने की समुचित व्यवस्था की जाए। नीतीश कुमार ने कहा कि  प्रखंड क्वारंटीन सेंटर पर भोजन, अवासन और चिकित्सकीय सुविधा की पूरी व्यवस्था की जाए। शौचालय और नहाने की व्यवस्था वहां पर हो। 

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