पूर्णिया में 5 वर्ष की बच्ची के साथ हैवानियत, गांव के युवक ने की दरिंदगी, वारदात के बाद फरार

पूर्णिया। पूर्णिया जिले के धमदाहा थाना क्षेत्र में एक हैवानियत भरी घटना सामने आई है, जहाँ एक पाँच वर्षीय मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया। यह घटना रविवार की शाम को घटी, जब बच्ची अपने घर से कुरकुरे खरीदने के लिए निकली थी। इस दौरान आरोपी प्रदीप कुमार उर्फ कटीस ने बच्ची को बहला-फुसलाकर स्कूल के पीछे स्थित बांसबाड़ी में ले जाकर उसके साथ यौन हिंसा की। वारदात के बाद आरोपी ने बच्ची को बेहोश अवस्था में छोड़कर फरार हो गया। बच्ची के घर न लौटने पर परिजनों ने उसे ढूँढना शुरू किया। करीब दो घंटे की तलाश के बाद बच्ची को बांसबाड़ी में बेहोश पड़ा पाया गया। पीड़िता की माँ ने बताया कि बच्ची के मुँह और प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था। होश में आने पर बच्ची ने बताया कि प्रदीप ने उसे जबरन खेत में ले जाकर उसके साथ दुर्व्यवहार किया और चिल्लाने पर उसे बेसुध छोड़कर भाग गया। बच्ची की हालत गंभीर होने के कारण उसे पहले धमदाहा अस्पताल और फिर पूर्णिया मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसकी स्थिति को चिंताजनक बताया। घटना के बाद गाँव में पंचायत बुलाई गई, जहाँ कुछ लोगों ने गाँव की “प्रतिष्ठा” के नाम पर मामले को रफादफा करने की कोशिश की। हालाँकि, पीड़ित परिवार ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। बच्ची की बिगड़ती तबीयत को देखकर पंचायत के सदस्य भी मौके से हट गए। यह घटना एक बार फिर ग्रामीण समाज में पंचायतों द्वारा ऐसे मामलों को दबाने की प्रवृत्ति को उजागर करती है। धमदाहा थानाध्यक्ष सरोज कुमार ने बताया कि पीड़िता की माँ की शिकायत पर आरोपी प्रदीप कुमार के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए हैं, जिसमें बच्ची के कपड़े और अन्य सामग्री शामिल हैं। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है, लेकिन वह अभी तक फरार है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही उसे गिरफ्तार कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह घटना न केवल पूर्णिया बल्कि पूरे समाज के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा करती है। एक ओर जहाँ नाबालिगों के साथ यौन हिंसा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पीड़ितों को न्याय दिलाने में स्थानीय प्रशासन और समाज की भूमिका पर सवाल उठते हैं। पंचायतों द्वारा ऐसे मामलों को दबाने की कोशिश और पीड़ित परिवारों को धमकाने की घटनाएँ चिंता का विषय हैं। साथ ही, पुलिस और चिकित्सा व्यवस्था को भी ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। पूर्णिया की इस घटना ने एक बार फिर समाज के सामने बच्चों की सुरक्षा और न्याय प्रणाली की कमियों को उजागर किया है। आरोपी की शीघ्र गिरफ्तारी और कड़ी सजा ही इस मामले में न्याय की पहली सीढ़ी होगी। साथ ही, ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता, कानून का सख्त क्रियान्वयन और पीड़ितों के प्रति संवेदनशीलता बेहद जरूरी है।
