नीतीश कैबिनेट की बैठक में 22 एजेंडों को मिली मंजूरी: सात डॉक्टर किए गए बर्खास्त, युवाओं के लिए बनेंगे कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र

  • जन्म और मृत्यु संशोधन नियमावली 2025 को मिली मंजूरी, 3.5 लाख सरकारी महिला सेवक को मिलेगा निजी आवास, बख्तियारपुर में गंगा चैनल निर्माण को स्वीकृति

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को बिहार सरकार की अहम कैबिनेट बैठक राज्य सचिवालय में आयोजित की गई। सुबह 10:30 बजे शुरू हुई इस बैठक में कुल 22 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इन प्रस्तावों में विकास योजनाओं से लेकर प्रशासनिक स्वीकृतियों और नई नियुक्तियों तक कई अहम निर्णय लिए गए। सरकार ने विभिन्न विभागों की मांगों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत फैसले लिए हैं, जिनका सीधा लाभ राज्य के आम नागरिकों को मिलेगा।
सात डॉक्टर किए गए बर्खास्त
बिहार सरकार ने राज्य के स्वास्थ्य तंत्र में अनुशासन और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। स्वास्थ्य विभाग ने सेवा में लगातार गैरहाजिर रहने वाले सात सरकारी डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई उन डॉक्टरों पर की गई है जो वर्षों से बिना सूचना के अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित थे और कई बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद कार्य पर नहीं लौटे।
लगातार अनुपस्थिति बनी कार्रवाई का कारण
जानकारी के अनुसार, इन डॉक्टरों की लंबे समय से जारी अनुपस्थिति पर स्वास्थ्य विभाग पहले से ही निगरानी रखे हुए था। विभाग द्वारा बार-बार नोटिस जारी कर उन्हें ड्यूटी पर लौटने का निर्देश दिया गया, लेकिन डॉक्टरों की ओर से न तो कोई संतोषजनक जवाब मिला और न ही उन्होंने कार्यस्थल पर लौटने की ज़रूरत समझी। परिणामस्वरूप, विभाग ने सेवा शर्तों के उल्लंघन और सरकारी आदेशों की अवहेलना को गंभीरता से लेते हुए बर्खास्तगी का निर्णय लिया।
कई जिलों के डॉक्टरों पर गिरी गाज
बर्खास्त किए गए डॉक्टर राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यरत थे, जिनमें पटना, गया, भागलपुर और समस्तीपुर जैसे प्रमुख जिले शामिल हैं। ये जिले स्वास्थ्य सेवा की दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं, जहां सरकारी डॉक्टरों की भूमिका बेहद अहम होती है। ऐसे में इन डॉक्टरों की अनुपस्थिति सीधे तौर पर आम जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर रही थी।
प्रशासनिक अनुशासन की आवश्यकता
सरकार ने इस कार्रवाई को प्रशासनिक अनुशासन बनाए रखने के लिए जरूरी बताया है। अधिकारियों के अनुसार, स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील क्षेत्र में कोई भी कोताही जनता के जीवन पर भारी पड़ सकती है। डॉक्टरों की जिम्मेदारी केवल एक पेशेवर दायित्व नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक उत्तरदायित्व भी है। यदि डॉक्टर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ेंगे, तो आम जनता को संकट झेलना पड़ेगा।
जनस्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर जोर
राज्य सरकार का यह निर्णय स्वास्थ्य व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। विभाग का कहना है कि यह कदम भविष्य में अन्य डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए एक चेतावनी है कि अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही, यह प्रयास स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और आम जनता की सेवा में किसी भी तरह की बाधा को रोकने का है। बिहार सरकार द्वारा सात डॉक्टरों की बर्खास्तगी एक कठोर लेकिन आवश्यक कदम है, जो यह दर्शाता है कि प्रशासन अब लापरवाही और गैरजिम्मेदारी को लेकर गंभीर हो चुका है। यह घटना न केवल स्वास्थ्य विभाग में अनुशासन का संदेश देती है, बल्कि जनता को भी यह आश्वासन देती है कि उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता दी जा रही है।
बिहार में युवाओं के लिए खुलेंगे 9 नए कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र
बिहार सरकार ने युवाओं के समग्र विकास और उन्हें स्वावलंबी बनाने की दिशा में एक अहम निर्णय लिया है। हाल ही में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया कि राज्य में कुल 9 नए कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएंगे। यह कदम युवाओं को तकनीकी एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के योग्य बनाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
युवाओं को मिलेगा व्यावसायिक प्रशिक्षण
इन नए प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना से युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण लेने का अवसर मिलेगा, जैसे कम्प्यूटर, मशीनरी, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबिंग, सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटी पार्लर सेवाएं आदि। यह प्रशिक्षण केंद्र युवाओं को न केवल रोजगार पाने में मदद करेंगे, बल्कि उन्हें स्वरोजगार शुरू करने की क्षमता भी प्रदान करेंगे। राज्य सरकार का मानना है कि जब युवा हुनरमंद होंगे, तो वे न केवल अपना जीवन बेहतर बना सकेंगे, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक योगदान दे सकेंगे।
बख्तियारपुर में गंगा चैनल निर्माण को स्वीकृति
कैबिनेट की इसी बैठक में एक अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई। जल संसाधन विभाग द्वारा पटना जिले के बख्तियारपुर प्रखंड में गंगा चैनल के निर्माण का प्रस्ताव पास किया गया है। इस चैनल के निर्माण से सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सकेगा और किसानों को कृषि कार्य में बड़ा लाभ मिलेगा। इससे क्षेत्र की जल समस्या को भी काफी हद तक हल किया जा सकेगा।
भविष्य की दिशा में एक सशक्त कदम
राज्य सरकार की यह पहल दर्शाती है कि वह युवाओं के भविष्य को लेकर गंभीर है। कौशल विकास केंद्रों की स्थापना और सिंचाई परियोजनाओं की मंजूरी, दोनों ही फैसले राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए अहम हैं। यह प्रयास बिहार को आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
3.5 लाख सरकारी महिला सेवक को मिलेगा निजी आवास
बिहार सरकार ने महिला सरकारी सेवकों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक सराहनीय निर्णय लिया है। सरकार ने घोषणा की है कि राज्य में कार्यरत लगभग 3.5 लाख महिला सरकारी कर्मियों को उनके कार्यस्थल के पास ही सुरक्षित निजी आवास उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के तहत सरकार निजी मकान मालिकों से लीज पर मकान लेकर महिला कर्मियों को आवास उपलब्ध कराएगी और इसका पूरा खर्च स्वयं वहन करेगी।
कार्यस्थल के निकट होगा आवास
महिला कर्मियों को जो आवास उपलब्ध कराया जाएगा, वह उनके पदस्थापन स्थल के निकट होगा। इससे न केवल उनकी यात्रा की परेशानी कम होगी, बल्कि वे स्वयं को अधिक सुरक्षित और सशक्त महसूस करेंगी। यह व्यवस्था विशेष रूप से उन महिला कर्मियों के लिए उपयोगी होगी, जिन्हें दूरदराज के क्षेत्रों में पदस्थ किया गया है या जिन्हें किराये के मकान ढूंढ़ने में परेशानी होती है।
शिक्षा विभाग की महिला शिक्षिकाएं भी होंगी शामिल
इस योजना को राज्य के शिक्षा विभाग पर भी लागू किया जाएगा। अर्थात महिला शिक्षकों को भी उनके स्कूल या शैक्षणिक संस्थान के निकट आवास दिया जाएगा। महिला शिक्षकों की एक बड़ी संख्या ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में तैनात है, जहां किराये के मकान या सुरक्षित आवास का मिलना कठिन होता है। सरकार के इस फैसले से उन्हें राहत मिलेगी और उनका ध्यान पूरी तरह अपने शैक्षणिक कर्तव्यों पर केंद्रित रहेगा।
सुरक्षा और सम्मान की दिशा में पहल
राज्य सरकार की यह योजना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस पहल है। इससे महिला कर्मियों को सुरक्षित वातावरण मिलेगा और वे मानसिक रूप से भी अधिक मजबूत महसूस करेंगी। यह व्यवस्था न केवल उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि महिलाओं को सरकारी सेवा में अधिक संख्या में आने के लिए भी प्रेरित करेगी। बिहार सरकार द्वारा महिला सेवकों को आवास देने की यह योजना एक सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से दूरदर्शी निर्णय है। यह कदम महिलाओं के प्रति राज्य की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी को दर्शाता है, जो आने वाले समय में महिला सशक्तिकरण को और गति देगा।
जन्म और मृत्यु संशोधन नियमावली 2025 को मिली मंजूरी
बिहार सरकार ने आम जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र से जुड़ी प्रक्रिया को और सरल बना दिया है। योजना एवं विकास विभाग ने इसके लिए बिहार जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण (संशोधन) नियमावली, 2025 को अधिसूचित किया है। यह नया नियम पहले के 1999 के नियमों में सुधार कर लाया गया है, ताकि लोगों को सरकारी दस्तावेज़ों के लिए बार-बार कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें।
डिजिटल पंजीकरण की सुविधा
नए नियमों के अनुसार अब जन्म और मृत्यु का पंजीकरण डिजिटल माध्यम से किया जा सकेगा। इसका मतलब यह है कि अब लोगों को किसी कार्यालय में लाइन में लगने या बार-बार आवेदन की स्थिति जानने की परेशानी नहीं होगी। ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिए आवेदन करना और उसकी स्थिति ट्रैक करना आसान हो जाएगा। इससे न केवल प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी, बल्कि लोगों का समय और श्रम भी बचेगा।
तय समय में प्रमाणपत्र उपलब्ध
इस संशोधित नियमावली के तहत अब जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र कंप्यूटर से तय समय के भीतर जारी कर दिया जाएगा। पहले लोगों को इन दस्तावेज़ों के लिए कई दिनों या हफ्तों तक इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब इसे जल्दी उपलब्ध कराना अनिवार्य कर दिया गया है।
प्रमाणपत्र का महत्व
जन्म और मृत्यु के प्रमाणपत्र सिर्फ कानूनी दस्तावेज नहीं होते, बल्कि इनकी ज़रूरत जीवन के हर क्षेत्र में पड़ती है। स्कूल-कॉलेज में दाखिला, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट बनवाना, वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाना या सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए इन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। डिजिटल प्रक्रिया से इन प्रमाणपत्रों की उपलब्धता आसान होने पर आम नागरिकों को कई तरह की सहूलियत मिलेगी।
सरल प्रक्रिया, बेहतर सुविधा
सरकार का यह कदम नागरिक सेवाओं को सरल और सुलभ बनाने की दिशा में एक अहम प्रयास है। इससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी और आम लोगों की सरकारी तंत्र पर भरोसा भी मजबूत होगा।
खेल भर्ती नियमावली को स्वीकृति
बैठक में बिहार अधीनस्थ खेल भर्ती नियमावली को मंजूरी दी गई है। इस नियमावली के माध्यम से राज्य के युवाओं को खेल के क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिल सकेंगे। इसके तहत योग्य खिलाड़ियों की नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाया जाएगा, जिससे खेल प्रतिभाओं को सरकारी सेवा में अवसर प्राप्त होगा।
जनजातीय आवास योजना को मिली मंजूरी
प्रधानमंत्री जनजातीय आवासीय योजना के तहत जनजातीय समुदाय को लाभ देने के उद्देश्य से एक बड़ा निर्णय लिया गया है। राज्य सरकार ने जनजातीय समूहों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दो लाख आवास निर्माण की मंजूरी दी है। इससे आदिवासी समुदाय के लोगों को स्थायी आवास मिल सकेगा, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार आएगा।
अन्य प्रशासनिक और आर्थिक फैसले
इसके अलावा बैठक में कई प्रशासनिक स्वीकृतियां और आर्थिक प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई है, जो राज्य में विकास को गति देने का कार्य करेंगे। ये फैसले स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में निवेश और संसाधन उपलब्ध कराने से संबंधित हैं। सरकार की प्राथमिकता जनता के कल्याण और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने पर केंद्रित रही है। इस बैठक को राज्य में सुशासन और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।

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