अगले साल जनवरी से राज्य के सभी कॉलेजों में विद्यार्थियों की बनेगी बायोमेट्रिक हाजिरी, तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी बिहार सरकार

पटना। राज्य के कॉलेजों में शिक्षकों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं की उपस्थिति पर भी सवाल उठते रहे हैं। मुजफ्फरपुर में हिंदी के शिक्षक प्रो. ललन कुमार से जुड़े मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए थे। इससे बिहार सरकार के उच्च शिक्षा की काफी भद्द पिटी। इसके बाद शिक्षा विभाग ने कई बैठकें कीं। वही विभाग ने इसके बाद तय किया है कि छात्र-छात्राओं की हाजरी बायोमेट्रिक तरीके से बनवाई जाए। बता दें कि कॉलेजों में शिक्षकों की हाजरी बायोमेट्रिक तरीके से बनवाने की पहल कई वर्ष पहले की गई लेकिन अभी तक यह कामयाब नहीं हो पाई है। वही, अब शिक्षा विभाग ने तय किया है कि जनवरी माह से छात्र-छात्राओं की हाजरी बायोमेट्रिक तरीके से बनवाई जाएगी। इस आशय का पत्र विभाग के मुख्य अपर सचिव दीपक कुमार ने कुलाधिपति के प्रधान सचिव को भेजा है। उन्होंने यह आग्रह भी किया है कि कुलाधिपति के स्तर से भी कुलपतियों को मार्गदर्शन दिया जाए ताकि इनका क्रियान्वयन त्वरित गति से हो सके।
कॉलेजों में बायोमेट्रिक मशीन उपलब्ध लेकिन उपयोग नहीं
जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग के मुख्य अपर सचिव दीपक कुमार ने कहा है कि अगले एक माह के अंदर सभी कॉलेजों में शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना जरूरी है और समेकित रुप से इसका अनुश्रवण विश्वविद्यालय स्तर पर भी आवश्यक है। इसी के आधार पर वेतन की राशि महाविद्यालयों को विमुक्त की जाए। ज्यादातर कॉलेजों में पूर्व से बायोमेट्रिक मशीन उपलब्ध है जिसका उपयोग नहीं हो रहा है। उन्होंने अन्य कई सुझाव भी कुलाधिपति को भेजा है। कॉलेजों में सभी कक्षाएं चलें इसके लिए एक एप के माध्यम से अनुश्रवण की व्यवस्था लागू की जा सकती है। इस संबंध में कुलपतियों के सुझाव के आधार पर समेकित रुप से एप बनाने की कार्रवाई करनी चाहिए। व्याख्याताओं की कमी को पूरा करने का निदेश विभाग द्वारा विश्वविद्यालय सेवा आयोग को दिया गया है। तब तक अतिथि व्याख्याताओं के माध्यम से और प्री रिकॉर्डेड लेक्चर के जरिए इस कमी को पूरी किया जा सकता है।
छात्र-छात्राओं की उपस्थिति के आधार पर ही मिलेगी परीक्षा में बैठने की अनुमति
बताया जा रहा हैं की 21 जून की बैठक में सभी कुलपतियों द्वारा लिखित आश्वासन दिया गया है कि वर्ष 2022-23 तक सभी सत्र नियमित कर दिया जाएगा और जून 2023 तक खत्म होने वाली सभी एकेडमिक सत्र की परीक्षाएं जून 2023 तक ली जाएगी और परीक्षाफल प्रकाशित कर दिया जाएगा। वही विभाग की ओर से समेकित रुप से ई- लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय से एक नोडल पदाधिकारी को नामित करने की मांग की गई है। इसके साथ नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक स्तर की व्यवस्था और च्वाइस बेस्ट क्रेडिट सिस्टम भी लागू करना जरूरी है। पटना विश्वविद्यालय में यह व्यवस्था वर्ष 2022-23 के एकेडमिक सत्र से लागू की जा रही है और शेष सभी विश्वविद्यालयों से अपेक्षा है कि वर्ष 2023 में प्रारंभ होने वाले सत्र में इसे लागू कर दिया जाए।

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