मांझी का सनसनीखेज खुलासा, बोले- नीतीश को खाने में कुछ दिनों से विषैला पदार्थ मिलाकर खिलाया जा रहा, हो उच्च स्तरीय जांच

पटना। कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी आहत हैं। गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में मांझी के खिलाफ तीखे बोल बोले। इसके खिलाफ एनडीए ने आंदोलन शुरू कर दिया है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के चैंबर के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। वहीं उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम नीतीश के खिलाफ गहरी साजिश का आरोप लगाया है। जीतन राम मांझी ने कहा कि किसी को मुख्यमंत्री की गद्दी जल्दी मिल जाए इसलिए नीतीश कुमार के खिलाफ बड़ी साजिश रची जा रही है। मांझी ने कहा कि पिछले कई दिनों से नीतीश कुमार को खाने में विषैला पदार्थ मिलाकर दिया जा रहा है। इसी का नतीजा है कि महावीर चौधरी के फोटो पर माल्यार्पण ना करके उन्होंने जीवित अशोक चौधरी पर फूल चढ़ा दिए। मुझ जैसे 80 साल के प्रतिनिधि को 74 साल के मुख्यमंत्री ने तुम ताम किया। उन्होंने 1967-68 में डिग्री प्राप्त की है। मैंने 1966 में डिग्री प्राप्त किया है। हम 1980 में विधायक रहे और नीतीश 1985 में विधायक रहे। उनको तुम ताम करके बात नहीं करना चाहिए था। जीतन राम मांझी ने आगे कहा कि नीतीश कुमार ने सारी मर्यादाओं को लांघते हुए महिलाओं के बारे में क्या- क्या ना कहा। इन सारी चीजों से सभी वाकिफ हो चुके हैं। उनकी भाषा सुनकर मैंने कहा था कि उनके संस्कार गिर गए हैं तभी ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुछ बेहद निकट रहने वाले लोग नीतीश कुमार के भोजन में जहरीला पदार्थ मिलाकर लगातार दे रहे हैं। इसी का परिणाम है कि नीतीश कुमार इस तरह की बातें सदन के अंदर भी कर रहे हैं। इस साजिश की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए विधानसभा का अभिरक्षक अध्यक्ष हुआ करते हैं। जब आरक्षण की बात खत्म हो गई तो उन्होंने हमें पुकारा और मैंने बोलना शुरू किया। अध्यक्ष को चाहिए था कि नीतीश कुमार को रोकें। बिहार विधानमंडल में शीतकालीन सत्र के चौथे दिन गुरुवार को आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान जब जीतन राम मांझी अपनी बात रख रहे थे तो सीएम नीतीश अचानक उनपर बिफर पड़े और उन्हें तू-तड़ाक करने लगे। मांझी को नीतीश ने सदन के अंदर ही जमकर लताड़ लगाई। नीतीश ने कहा कि इस आदमी को सीएम बनाना मेरी मूर्खता थी।

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