छठ महापर्व : नहाय-खाय संपन्न, मंगलवार को खरना कर व्रती लेंगे 36 घंटे निर्जला उपवास का संकल्प, जानिए खरना पूजा व अर्घ्य का शुभ मुहूर्त

पटना। सनातन धर्मावलंबी के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान सोमवार को सुकर्मा में नहाय-खाय से आरंभ हो गया। व्रतियों ने पवित्र जलाशयों, कुआं, तालाब, नदी तथा जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, लौकी की सब्जी, आंवले की चासनी का प्रसाद ग्रहण कर व्रत की शरुआत की। कल कार्तिक शुक्ल पंचमी मंगलवार को लोहंडा या खरना में व्रती पूरे दिन का उपवास कर शाम में भगवान भास्कर की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी। खरना का प्रसाद पाने के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला अनुष्ठान का संकल्प लेंगी। वहीं षष्ठी बुधवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ महापर्व के चतुर्थ दिवसीय अनुष्ठान के अंतिम दिन सप्तमी गुरुवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर आयु-आरोग्यता, यश, संपदा का आशीर्वाद लिया जाएगा।
खरना से सप्तमी तक बरसती है छठी मैया की कृपा
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने बताया कि छठ महापर्व खासकर शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार श्रद्धापूर्वक व्रत-उपासना करने वाले व्रतियों तथा श्रद्धालुओं पर खरना से छठ के पारण तक छठी माता की कृपा बरसती है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है। पंडित झा ने कहा कि सूर्य को आरोग्य का देवता माना गया है। सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता है।
खरना के प्रसाद से दूर होते कष्ट
छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी और अरवा चावल के सेवन का खास महत्व है। वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है, वहीं वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा समाप्त हो जाते हैं।
संतान प्राप्ति के लिए उत्तम है छठ व्रत
छठ का व्रत आरोग्य प्राप्ति, सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है। स्कन्द पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत किया था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था, भगवान भास्कर से इस रोग मुक्ति के लिए राजा ने छठ व्रत किया था। स्कन्द पुराण तथा वर्षकृतम में भी इस प्रतिहार षष्ठी की वर्णन है।
स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है छठ
पंडित राकेश झा ने कहा कि इस मौसम में शरीर में फॉस्फोरस की कमी होने के कारण शरीर में रोग (कफ, सर्दी, जुकाम) के लक्षण परिलक्षित होने लगते हैं। प्रकृति में फॉस्फोरस सबसे ज्यादा गुड़ में पाया जाता है। जिस दिन से छठ शुरू होता है, उसी दिन से गुड़ वाले पदार्थ का सेवन शुरू हो जाता है, खरना में चीनी की जगह गुड़ का ही प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही ईख, गागर एवं अन्य मौसमी फल प्रसाद के रूप प्रयोग किया जाता है।
खरना पूजा व अर्घ्य मुहूर्त
खरना का पूजा – संध्या 05:26 बजे 07:22 बजे तक
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय – शाम 05:25 बजे तक
प्रात:कालीन सूर्य को अर्घ्य – सुबह 06:35 बजे के बाद दिया जाएगा

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