मन की बात के विरोध में अघोषित आपातकाल विरोधी संघर्ष मोर्चा ने किया जन की बात

पटना। अघोषित आपात विरोधी संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में प्रधानमंत्री के रेडियो पर किए जा रहे मन की बात के 100 वें एपिसोड के विरोध में “बहुत हो गया मन की बात, कब करोगे जन की बात, अब करना होगा काम की बात” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ेकार्यक्रम का नेतृत्व मोर्चा के संयोजक अमलेंद्र मिश्रा, राकांपा प्रदेश अध्यक्ष राणा रणवीर सिंह, एटक के प्रदेश महासचिव गजनफर नवाब, सीटू के प्रदेश महासचिव अरुण कुमार मिश्रा, राजद के निराला यादव, भाई अरुण, आम आदमी पार्टी के उमा दफ़्तुआर, बबलू प्रकाश एवं राजेश सिन्हा, जदयू के चंद्रिका सिंह दांगी, समाजवादी पार्टी के श्याम बिहारी यादव एवं रवि कुमार, माले नेता डा शैलेश कुमार, लोक गायक निर्मय अम्बेडकर, देश प्रेम अभियान के कुंदन लाल सहगल, किसान नेता वीवी सिंह, जनकल्याण राशन कार्ड धारक संघ के दशरथ पासवान ने किया। कार्यक्रम में प्रेमानन्द राय, अधिवक्ता अरविन्द कुमार सिंह, रंगकर्मी सुभाषचन्द्रा, सुनील सिंह, युवा कांग्रेस के राहुल पासवान, नसीमा जमाल मनोज यादव सहित अन्य लोग भी शामिल थे। कार्यक्रम में सभी वक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री को मन की बात जुमलेबाजी के सिवा और कुछ भी नहीं है।प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक भी चुनावी वादे को आज तक पूरा नहीं किया। उनकी पार्टी एवं सरकार में नम्बर दो वाली जगह के नेता अमित शाह ने ही एक टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में कहा था कि वे तमाम बातें चुनाव जीतने के लिए सिर्फ जुमला था। वक्ताओं का कहना था कि प्रधानमंत्री के मन की बात का 100वां एपिसोड रेडियो पर आज चल रहा है। लेकिन अब तक एक बार भी अपने चुनावी वादे की चर्चा उन्होंने करना जरूरी नहीं समझा। दो करोड़ युवाओं को प्रतिवर्ष रोजगार देने का वादा करने वाले प्रधानमंत्री अब पकोड़ा बेचने को ही रोजगार बता रहे हैं। वे महंगाई कम करने की बात अब कभी नहीं करते। बढ़ती महंगाई ने मध्यमवर्गीय परिवार की कमर तोड़ कर रख दी है। बढ़ती बेरोजगारी के कारण युवाओं में गहरी निराशा एवं हताशा व्याप्त है। जिसका लाभ उठाते हुए भाजपा, आरएसएस उन्हें अपने साम्प्रदायिक ऐजेंडा का मोहरा बनाने में कामयाब हो रही है। देश में साम्प्रदायिक माहौल का वातावरण तैयार कर मोदी सरकार एवं भाजपा-आरएसएस 2024 का लोकसभा चुनाव का एजेंडा चला रही है।

वक्ताओं का कहना था कि किसानों की आय दोगुनी करने के वादे से मुंह मोड़ लेने का ही परिणाम है कि खेती-किसानी संकट में है। खेती की लागत लगातार बढ़ती गई है और किसान अपने उपज का लाभकारी मूल्य पाने से वंचित है। विपक्षी दलों को झूठे केसों में फंसाकर एवं सभी संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा कर मोदी सरकार देश में लोकतंत्र का खात्मा कर रही है। सीबीआई, ईडी, आईटी मोदी सरकार का पालतू तोता बन गई है न्यायपालिका की कार्यवाही पर निरंतर अंकुश लगाने का काम किया जा रहा है। पाठ्य पुस्तकों के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है। देश की सार्वजनिक सम्पत्तियों को औने पौने दामों पर गुजराती उद्योगपति गौतम अडाणी- मुकेश अंबानी के हाथों बेचा जा रहा हैं। बैंकों का लाखों करोड़ रुपए का फर्जी कर्जा डकार कर सैकड़ों लोग देश छोडकर भाग गए। लेकिन कालाधन विदेशी बैंकों से लाकर सभी देशवासियों के खाते में 15 लाख रुपए डालने वाले मोदीजी चुप हैं। मोदी जी मन की बात अपनी पत्नी यशोदावेन को सुनाएं। लोगों से उनके हक की बात करें। लोगों को उनके पुराने अच्छे दिन लौटा दें।

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