गुरु तेग़बहादुर सिद्धांत के लिए आत्मोत्सर्ग के और भीम राव अम्बेडकर दलितोद्धार के प्रतीक

पटना,फुलवारीशरीफ(अजीत)। सिक्ख परंपरा के 9वें गुरु, गुरुमहाराज तेग़ बहादुर भारतीय चेतना और सिद्धांत के लिए आत्मोत्सर्ग के तो दूसरी ओर बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर सामाजिक समता और दलितोद्धार के प्रतीक हैं। एक ने धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया तो दूसरे ने पीड़ित समुदायों के उद्धार हेतु अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित कर दिया। वही गुरु अर्जुन देव ने बलिदान की परंपरा का आरंभ ही किया था। वे भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के महान आचार्य और प्रचारक थे। यह बातें रविवार को प्रबुद्ध हिंदू समाज के तत्त्वावधान में पटेल नगर स्थित देव पब्लिक स्कूल में इन तीनों महान विभूतियों की स्मृति में आयोजित संयुक्त जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए। समाज के मुख्य संरक्षक और बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि संसार के सभी महान विभूतियों ने जिन्होंने मानव-समाज पर गहरी छाप छोड़ी, उन सबने उतने ही बड़े बलिदान दिए। औरंगजेब की कट्टरवादी-प्रवृत्ति और अन्य धर्मावलंबियों पर किए जा रहे दमनात्मक कार्रवाई से गुरेज़ करने की शिक्षा देने जब गुरु तेग़ बहादुर दिल्ली के तख़्त पर बैठे बादशाह को सुमति देने पहुँचे तो सत्ता के मद में चूर औरंगज़ेब ने उन्हें ही अपमानित किया और सिर के केश कटाने का हुक्म दे दिया। गुरु महाराज का स्वाभिमान जागृत था। वही उन्होंने कहा ‘मैं सिर कटा सकता हूँ, पर केश नहीं’। डॉ. सुलभ ने कहा कि एक क्रूर बादशाह को उनका यह स्वाभिमान देखा न गया और उसने गुरु महाराज का सिर कटबा दिया। किंतु उस बलिदानी महात्मा ने अपना आत्मोसर्ग कर भारत की आत्मा की रक्षा की। हमारा देश ऐसे ही महान संतों और बलिदानियों के कारण अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गौरव करता है।

वही इस समारोह के मुख्य अतिथि और सुप्रसिद्ध समाजसेवी पद्मश्री विमल जैन ने कहा कि अपनी संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा सर्वोपरि है। देश बचेगा तो सबकुछ बचेगा। समाज के अध्यक्ष डॉ. जनार्दन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस जयंती समारोह में डॉ. मनोज गोवर्द्धनपुरी डॉ. मनोज कुमार, रंजन कुमार मिश्र, ई अरुण कुमार राय, अवधेश कुमार उपाध्याय, बलदेव प्रसाद सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत संस्था के महासचिव आचार्य पाँचू राम ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन ई महेंद्र शर्मा ने किया। मंच का संचालन किया। विद्यालय के निदेशक डॉ. दिनेश कुमार देव ने। इस अवसर पर पर्याप्त संख्या में विद्यालय के आचार्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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