अचानक ‘खतरे’ में आ गई थी नीतीश सरकार,विधानसभा में हुआ शक्ति परीक्षण,सत्तापक्ष का बहुमत रहा बरकरार

पटना। बिहार विधानसभा में आज की कार्यवाही के दौरान नीतीश सरकार एकाएक ‘खतरे’ में आ गई थी।हालांकि ‘खतरा’ बड़ा नहीं था।मगर था तो ‘खतरा’ ही।हुआ कुछ ऐसा कि आज कार्यवाही के दौरान विपक्ष के कटौती प्रस्ताव पर सदन में मत विभाजन की स्थिति पैदा हो गई। उस दौरान सत्तापक्ष के अधिकांश विधायक गैर मौजूद थे।अगर प्रस्ताव पारित हो जाता तो संवैधानिक संकट भी उत्पन्न होना ही था।हालांकि सत्ता पक्ष ने अचानक से आए इस ‘मुसीबत’ का सामना बड़े ही सलीके से किया।मत विभाजन तो हुआ।मगर सत्ता पक्ष के समर्थन में जहां 85 मत गिरे,वहीं विपक्ष को मात्र 52 में संतोष करना पड़ा।बिहार विधानसभा में आज 9 जुलाई को सत्ताधारी राजग और विपक्ष के बीच अचानक शक्ति परीक्षण सम्पन्न हो गया। बिहार विधानसभा में आज के कार्यवाही के दौरान सहकारिता विभाग की ओर से मांग बजट प्रस्तुत किया गया था। इस पर बहस के बाद विपक्ष की ओर से कटौती प्रस्ताव लाया गया। यह कटौती प्रस्ताव राजद नेता व पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी की ओर से लाया गया था। सरकार कटौती प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी। ऐसे में सदन के समक्ष मतदान के अलावा कोई रास्ता नहीं था।

जिस समय सदन में यह कार्यवाही चल रही थी, उस समय विधायकों की संख्या कुछ कम दिख रही थी। मत विभाजन की नौबत आते ही सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं में बेचैनी दिखने लगी। क्योंकि उस समय अधिकांश विधायक सदन से बाहर लॉबी में या कहीं और थे। कुछ नेता विधायकों को फोन लगाते दिखे। आसन से मत विभाजन का संकेत हो गया और सदन में उपस्थित विधायकों ने मतदान किया। प्रस्ताव के पक्ष में 85 मत पड़े वहीं विरोध में 52 मत। इस प्रकार 33 मत से सहकारिता विभाग का मांग प्रस्ताव सदन से पारित हो गयां। इस प्रकार राज्य सरकार शक्ति परीक्षण में पास हो गयी। लेकिन, अचानक आयी इस स्थिति ने सत्तारूढ़ गठबंधन को बहुत बड़ा सबक दे दिया। बिहार विधानसभा में फिलहाल सत्तारूढ एनडीए को 132 विधायकों का समर्थन है। वहीं विपक्ष में 109 विधायक हैं। इस प्रकार एनडीए के 47 विधायक सदन में उपस्थित नहीं थे। वहीं विपक्ष के भी 57 विधायक मतदान के समय सदन से अनुपस्थित थे।

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