आप ने मुफ्त उपहारों के वादों को समीक्षा के दायरे से बाहर रखने की मांग की, सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 19.1A की दी दलील

  • मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की पीठ के समक्ष 17 अगस्त को सुनवाई होगी

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने चुनावी भाषण और मुफ्त उपहारों के वादों को समीक्षा के दायरे से बाहर रखने की मांग की है। आप ने कहा कि चुनाव से पहले किए गए वादे, दावे और भाषण की आजादी अनुच्छेद 19.1.ए के तहत आते हैं। इनपर रोक कैसे लगाई जा सकती है। आम आदमी पार्टी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर शपथ पत्र में कहा कि अनिर्वाचित उम्मीदवारों द्वारा दिए गए चुनावी भाषण भविष्य की सरकार की बजटीय योजनाओं के बारे में आधिकारिक बयान नहीं हो सकते। वास्तव में वे नागरिक कल्याण के विभिन्न मुद्दों पर किसी पार्टी या उम्मीदवार के वैचारिक बयान मात्र हैं। यह नागरिकों को सचेत करने के लिए हैं ताकि वह मतदान में फैसला कर सके कि किसे वोट देना है। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की पीठ के समक्ष 17 अगस्त को सुनवाई होगी। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह एक विशेषज्ञ समिति बनाकर मामले को देखना चाहता है, क्योंकि यह गंभीर मुद्दा है। कोर्ट ने प्रस्तावित समिति में वित्त आयोग, नीति आयोग, रिजर्व बैंक और सरकार के प्रतिनिधि होंगे। चुनाव आयोग ने इस समिति में शामिल होने से मना कर दिया था। आप ने कहा कि विशेषज्ञ समिति यदि बनाई ही जा रही है तो उसे वास्तविक वित्तीय खर्च को नियंत्रित करने का उपाए सुझाने चाहिए लेकिन ये सुझाव विस्तृत सामाजिक कल्याण के संवैधानिक मॉडल पर आधारित हों।
गुजरात में सत्ता मिली तो मुफ्त शिक्षा का वादा : केजरीवाल
चुनाव पूर्व मुफ्त योजनाओं का वादा करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि गुजरात में आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में आई तो प्रदेश में बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिलेगी। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने के साथ ही दिल्ली की तरह सभी निजी स्कूलों का ऑडिट कराया जाएगा। आप संयोजक केजरीवाल ने वादा किया कि इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद अगर उनकी पार्टी गुजरात में सत्ता में आई तो राज्य के मौजूदा सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार किया जाएगा और राज्य भर में बड़ी संख्या में नए स्कूल खोले जाएंगे।

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