28 को होलिका दहन व जयद योग में 29 मार्च को होली, जानिए किस मुहूर्त में होगी होलिका दहन

  • होली में लाल, पीला व गुलाबी का प्रयोग ही शास्त्रोचित

पटना। बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार होली 29 मार्च (सोमवार) को हस्त नक्षत्र तथा ध्रुव एवं जयद योग के युग्म संयोग में मनाई जाएगी। वहीं होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 28 मार्च को उत्तर फाल्गुन नक्षत्र में रविवार को प्रदोष काल से लेकर निशामुख रात्रि 12:40 बजे तक जलाई जाएगी। रंगोत्तसव का पर्व होली भारतीय सनातन संस्कृति में अनुपम और अद्वितीय है। यह पर्व प्रेम तथा सौहार्द्र का संचार करता है। होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा की जाती है। महिलाएं व्रत रखकर हल्दी का टीका लगाकर सात बार होलिका की परिक्रमा कर परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं और सुख-शांति, समृद्धि के साथ-साथ संतान के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है।
होलिका पूजन से अनिष्टता का होगा नाश
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के मत से बताया कि 28 मार्च को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त मिथिला पंचांग के अनुसार प्रदोष काल तक है। वहीं बनारसी पंचांग के मुताबिक प्रदोष काल से लेकर निशामुख रात्रि 12:40 बजे तक है। होलिका दहन के दिन प्रात: 05:55 बजे से दोपहर 01:33 बजे तक भद्रा है, इसीलिए होलिका दहन भद्रा के बाद किया जाता है। पंडित झा ने कहा कि भद्रा को विघ्नकारक माना गया है। भद्रा में होलिका दहन करने से हानि और अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि होलिका की पूजा करते समय “ॐ होलिकायै नम:” मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इससे अनिष्ट कारक का नाश होता है।
होलिका भस्म का होता है खास महत्व
ज्योतिषी झा के अनुसार होलिका दहन की भस्म को काफी पवित्र माना गया है। इस आग में गेहूं, चना की नई बाली, गन्ना को भुनने से शुभता का वरदान मिलता है। होली के दिन संध्या बेला में इसका टीका लगाने से सुख-समृद्धि और आयु के वृद्धि होती है। इसके साथ ही इस दिन ईश्वर से नई फसल की खुशहाली की कामना भी की जाती है। सेंक कर लाये गये धान्यों को खाने से अपनी काया हमेशा निरोगी रहती है। घर में माता अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।
होलिका दहन की यह है पौराणिक कथा
पंडित झा ने पुराणों का हवाला देते हुए बताया कि दानवराज हिरण्यकश्यप नामक राजा के पुत्र प्रहलाद उनका नाम जपने के बजाए भगवान श्रीहरि का पूजा और जाप करता है। इससे राजा ने क्रुद्ध होकर अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। चूंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि अग्नि में उसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा, लेकिन भक्त की अटूट भक्ति के कारण ठीक इसका उल्टा हो गया। प्रहलाद उस अग्नि से बच गए और होलिका जलकर भस्म हो गई। होली का पर्व का उद्देश्य है कि भक्तों की रक्षा के लिए भगवान सदा उपस्थित रहते हैं।

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