जून-जुलाई में अब 23 लग्न शेष, फिर चार मास बाद बजेगी शहनाई, इस मास 14 तो अगले में 9 लग्न शेष

पटना। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से लॉकडाउन व सामाजिक आयोजनों में पाबंदियों की वजह से इस साल शादी-विवाह कम और सीमित संसाधनों में हुई। अधिकतर लोग अगले साल के लिए मुहूर्त ढूंढ रहे। ऐसे में बाजारों में रौनक नहीं बनी। दुकानदारों को मंडी की मार झेलनी पड़ी।

बैंड बाजा, मैरेज हॉल, कैटरिंग, माली, कैमरा वाला, पंडित जी कुल मिलाकर इस क्षेत्र से जुड़े सभी को नुकसान उठाना पड़ा। कई लोगों ने तो तय मुहूर्त को भी टाल दिया। अभी जून, जुलाई मिलाकर कुल 23 लग्न मुहूर्त शेष हैं। इसके बाद फिर चार मास के बाद 15 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के बाद से लग्न शुरू होंगे।

बनारसी पंचांग के अनुसार 19 नवंबर से शुरू होकर 13 दिसंबर तक कुल 12 लग्न है। जिसमें छह नवंबर में तथा छह दिसंबर में हैं। इसके बाद अगले साल 15 जनवरी 2022 के बाद का मुहूर्त शुरू होगा।

शादी-ब्याह में गुरु-शुक्र व सूर्य की शुभता जरूरी

भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों में शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभ फलदायी होते हैं । इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।

20 जुलाई से 15 नवंबर तक नहीं होंगे शुभ कार्य

ज्योतिषी झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि इस साल 20 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी होने से वैवाहिक या मांगलिक शुभ कार्य पर पाबंदी लग जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु शयन के लिए क्षीरसागर में चले जाते हैं । उनके शयन के बाद सभी प्रकार के शुभ कार्य नहीं होते हैं । फिर 15 नवंबर को कार्तिक शुक्ल देवोत्थान एकादशी को भगवान नारायण निंद्रा से जागृत होंगे । तब सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएगा । इस चार मास के समय अंतराल को चातुर्मास कहा जाता है ।

ऐसे तय होते हैं शुभ लग्न-मुहूर्त

पटना के प्रमुख ज्योतिष विद्वान पंडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है।वहीं नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक जा रहना जरूरी है । अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। उन्होंने बताया कि यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा I तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेद्ध है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।

शादी-विवाह के शुभ लग्न मुहूर्त

(मिथिला पंचाग के मुताबिक)

जून: 20, 21, 24, 25, 27, 28

बनारसी पंचाग के अनुसार

जून: 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 26

जुलाई: 1, 2, 3, 6, 7, 8, 12, 15, 16

नवंबर: 19, 20, 21, 26, 28, 29

दिसंबर: 1, 2, 5, 7, 12, 130

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