बिहार एनडीए में बेचैनी : अब स्थानीय मुद्दे और विकास ही राजनीति की धुरी बनेंगे

पटना। दिल्ली विधानसभा में एनडीए की करारी हार के बाद बिहार एनडीए के घटक दलों की बेचैनी बढ़ा दी है। जदयू ने इस हार ठिकरा भाजपा के बड़बोले नेताओं पर फोड़ एक नई राजनीतिक दिशा को हवा दी है। हालांकि, लोजपा की ओर से फिलहाल कोई बड़ी प्रतिक्रिया नहीं आई है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि इस हार की एनडीए में समीक्षा हो। श्री सिंह ने कहा कि अब स्थानीय मुद्दे और विकास ही राजनीति की धुरी बनेंगे। दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम पर एनडीए को समीक्षा जरूर करनी चाहिए। वैसे जनता का फैसला सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप का प्रचार तंत्र काफी आगे था। लंबे समय से आप के लोग प्रचार में सक्रिय थे और स्थानीय मुद्दों को आगे किया। स्थिति यह है कि अगर कोई संगम विहार और बुरारी के भीतरी हिस्से में चला जाए तो यह साफ दिखेगा कि सड़क पूरी तरह से टूटी हुई है। पर बाहर की सड़क को दिखाकर प्रचार तंत्र सक्रिय रहा। बिजली और स्कूल का असर जरूर दिखा है। उन्होंने कहा कि बिहार का इस चुनाव परिणाम से कोई विशेष ताल्लुक नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो नियमित रूप से विकास से जुड़े कार्यों में सक्रिय रहे हैैं। जनता के सामने यह स्पष्ट है कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जितना अधिक काम हुआ है, वह यहां पहले कभी नहीं हुआ। यही नहीं, नीतीश कुमार की योजनाएं सभी वर्गों के हित की रही है। विकास पर ही केंद्रित रहे हैैं नीतीश कुमार।
उधर, जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यही सही है कि बिहार जैसा विकास दिल्ली में नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का जबर्दस्त विकास हुआ है। यही विकास नीतीश कुमार दिल्ली में भी देखना चाहते हैं, लेकिन बीजेपी के कुछ बड़बोले नेताओं की वजह से एनडीए को हार का सामना करना पड़ा। वे नीतीश कुमार की विकास योजनाओं को दिल्ली के चुनाव में कायदे से बिहार के विकास को ठीक से नहीं रख पाए।

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