दो साल में भाजपा की 8वें राज्य में हुई हार, क्या बदलेगी चुनावी रणनीति

CENTRAL DESK : देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी माने जाने वाली भाजपा को दो सालों में भाजपा की 8वें राज्य में हार हुई है। जो भाजपा को मिल रहे ताबड़तोड़ हार पर गहन मंथन करने व चुनाव की रणनीति बदलने की सीख दी है। वहीं नये बने भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा भी अपने पहले परीक्षा में फेल हो गए हैं। 2019 के अंत में झारखंड और अब साल 2020 के पहले ही चुनावों में दिल्ली में भाजपा को हार मिली है। दिल्लीवासियों ने राष्टवाद से इतर स्थानीय मुद्दों व विकास पर वोट देकर आप को पूर्ण बहुमत दिया है।
भारत में इस समय दिल्ली को मिलाकर 12 राज्यों में भाजपा विरोधी दलों की सरकार है। जबकि एनडीए के पास 16 राज्य हैं। विधानसभा चुनावों में हार की बात करें तो पिछले दो साल में भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए सात राज्यों में सत्ता गंवा चुका है और दिल्ली में हार आठवीं है। हाल की बात करें तो महाराष्ट्र में करीब एक महीने चले सियासी ड्रामे में भी भाजपा सत्ता बचाने में असफल रही। दिल्ली से सटे हरियाणा में भी बहुमत नहीं मिला हालांकि गठबंधन कर उसने अपनी सरकार बनाई। मगर झारखंड में भाजपा को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। वहीं दो साल पहले 2017 की बात करें तो भाजपा व सहयोगी पार्टियों के पास 19 राज्य थे। मगर उसने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा दी। इसके बाद 2019 में आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार बनायी।
बता दें 2015-16 का एक वक्त था जब भारत के मानचित्र पर हर अधिकतर जगहों पर भगवा का कब्जा था मगर अब ऐसा नहीं रहा। इस बार उम्मीद जताई जा रही थी कि भाजपा दिल्ली में सत्ता का दो दशक का वनवास खत्म कर सकती है, लेकिन असफल रही। अभी अंतिम परिणाम तो घोषित नहीं हुए मगर ये साफ हो गया है कि आम आदमी पार्टी 60 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज कर रही है।
गौरतलब है कि दिल्ली जीतने के लिए भाजपा ने जी-जान लगा दी थी। दिल्ली फतह करने के लिए भाजपा ने अपने करीब 350 सांसदों व नेताओं को मैदान में उतार दिया था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुद गली-गली घूमकर वोट मांगे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभा के जरिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था। मगर जुबानी हमलों को दिल्ली की जनता पर कोई असर नहीं हुआ। मतदाताओं ने राष्टवाद से इतर विकास को अपनाया। बहरहाल अब भाजपा के लिए बड़ा चैलेंज बिहार विधानसभा चुनाव होगा, जो इसी वर्ष होना है। भाजपा के नए अध्यक्ष जेपी नड्डा शायद अब चुनाव की रणनीति बदलेंगे।

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