JDU का बड़ा खुलासा : दस लाख युवाओं को 47.70 पैसे प्रतिमाह सैलरी देंगे आइंस्टीन तेजस्वी

पटना। बिहार के 94 सीटों पर मंगलवार को विधानसभा के दूसरे चरण का चुनाव संपन्न हो गया। इस बीच राजद नेता तेजस्वी यादव के विधायकों, पार्षदों और मंत्रियो की सैलरी काटकर 10 लाख युवाओं को वेतन देने के मुद्दे पर जदयू ने घेरा है। जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद, डॉ. निहोरा प्रसाद यादव एवं अरविंद निषाद ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर तेजस्वी यादव के 10 लाख नौकरी को लेकर हमला बोला है। जदयू ने राजद के 10 लाख युवाओं के पक्की नौकरी के घोषणा पर सवाल उठाते हुए बड़ा खुलासा किया है। जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने नेता प्रतिपक्ष से पूछा है कि 9वी फेल आइंस्टाइन तेजस्वी 10 लाख नौकरियों के लिए 1 लाख 34 हजार करोड़ रुपये कहां से जुटाएंगे। राजद अब तक तेजस्वी का जवाब नहीं ढूंढ सका है।
उन्होंने विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि एक विधायक की सैलरी डेढ़ लाख रूपये होती है। बिहार में कुल विधायकों की संख्या 243 है। विधायकों के वेतन पर कुल 3 करोड़ 64 लाख 50 हजार रूपये खर्च होते हैं। वहीं प्रत्येक विधान पार्षद की सैलरी भी डेढ़ लाख रूपये हैं। कुल विधान पार्षद 75 हैं। इनके वेतन मद में कुल 1 करोड़ 12 लाख 50 हजार रूपये खर्च किए जाते हैं। इस तरह विधायक और विधान पार्षद के वेतन मद में कुल 4 करोड़ 77 लाख प्रति महीना खर्च आता है।
उन्होंने कहा कि राजद ने बिहार विधानसभा चुनाव में दस लाख नौकरियां देने की घोषणा की है। कहा कि आखिर जंगलराज के युवराज बिहारी युवाओं को दस लाख सरकारी नौकरियां देंगे तो वेतन कितना रूपया देंगे। तेजस्वी यादव विधायकों, पार्षदों और मंत्रियों की सैलरी भी काटेंगे तो युवाओं को 47.70 पैसे प्रतिमाह सैलरी बनती है।
उन्होंने आगे कहा कि आधुनिक आइंस्टीन तेजस्वी के तेज दिमाग के गुणा-गणित को समझने के लिए दिमाग पर जोर देना होगा। इस 4 करोड़ 77 लाख रुपये को दस लाख से भाग कर दें तो कुल हिसाब बचता है 47.70 पैसे प्रति व्यक्ति। ऐसे में कौन समझाए इन महाज्ञानी युवराज को, कि दस लाख युवाओं को सरकारी नौकरी का झांसा देते हुए उनके हिसाब में चूक हो गई है। आगे कहा कि बिहारी युवाओं को झांसा देने की तरकीब समझाते-समझाते तेजस्वी अपने ही गणित में उलझ गए हैं और वे सत्ता की कुर्सी पर नजरे जमाएं बैठे हैं। जिसे बिहार के युवा भली-भांति समझते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी आज भी जातीय वैमनष्य की राजनीति से बाहर निकल नहीं पा रही है। पहले सवर्ण आरक्षण का विरोध, फिर बाबू साहब प्रकरण ने इस मानसिकता को उजागर कर दिया है।
वहीं डॉ. निहोरा प्रसाद ने कहा कि परिवारवाद ने लोकतंत्र को कमजोर किया है। जनता इसके खिलाफ कमर कस चुकी है। तेजस्वी यादव कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं तो लोग हंसते हैं, जिनके पंद्रह वर्ष के सरकार में कानून के राज के स्थान पर गन का राज था, अवैध आग्नेयास्त्रों के मामले में बिहार अव्वल था। 13 फरवरी 1992 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने कहा था कि मेरी भी जान सुरक्षित नहीं है। अधिकारियों पर सरकार का नहीं उग्रवादियों एवं नक्सलियों का नियंत्रण है।
वहीं अरविंद निषाद ने कहा कि तेजस्वी यादव राजद की अति पिछड़ा विरोधी सोच को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस क्षेत्र में जो कार्य किये गए हैं, उसके लिए अति पिछड़ा वर्ग पूरी तरह से एनडीए के पक्ष में लामबंद है।

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