चैती छठ शनिवार से, ग्रह-गोचरों के युग्म संयोग में पूरा होगा अनुष्ठान, कोरोना से लड़ने की मिलेगी क्षमता

पटना। देश के साथ-साथ पूरा विश्व कोरोना नामक वैश्विक महामारी से लड़ रहा है। पूरे देश में लॉक डाउन है। कल से शुरू हो रहे चैती छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के तहत गंगा के सभी घाटों पर जाने से सरकार एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा पूर्ण पाबंदी लगा दी गई है। श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि वे इस महापर्व को अपने घर पर ही करें। इस स्थिति में पूजन सामग्री की समुचित इंतजाम करना काफी मुश्किल हो रहा है। बावजूद इसके व्रती संयम तथा व्यवस्था के साथ इस महापर्व को पूरा करने में जुटी हुई हैं।
लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शनिवार से चैत्र शुक्ल चतुर्थी के नहाय-खाय से शुरू हो रहा है। छठ पूजा मुख्य रूप से प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ सूर्यदेव की बहन हैं। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं तथा परिवार में सुख, शांति व धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि रवियोग एवं सिद्धयोग में चार दिवसीय छठ महापर्व शुरू हो रहा। आदित्य ह्रदय तथा रावण संहिता के मुताबिक रविवार को सप्तमी तिथि में सूर्य का प्रभाव एक हजार गुणा अधिक हो जाता है। इस तिथि को जल में गंगाजल डालकर स्नान मात्र से शरीर के सारे कष्टों का नाश होता है और एक सौ अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।
छठ महापर्व पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग
पंडित झा के मुताबिक इस बार छठ महापर्व पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है। यह पर्व पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रती पूरे विधि-विधान से छठ का व्रत करेंगी। इस पर्व को करने से रोग, शोक, भय आदि से मुक्ति मिलती है। वहीं सोमवार 30 मार्च को सायंकालीन अर्घ्य पर सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जबकि 31 मार्च मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य पर द्विपुष्कर योग का शुभ संयोग बन रहा है।
आरोग्यता व संतान के लिए उत्तम है छठ व्रत
ज्योतिषी झा के अनुसार सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है। स्कंद पुराण के मुताबिक राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है। वर्षकृत्यम में भी छठ की चर्चा है।
नहाय-खाय एवं खरना के प्रसाद से दूर होते कष्ट
पंडित झा के अनुसार छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चटनी के सेवन का खास महत्व है। वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है, वहीं वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा समाप्त हो जाते हैं। वहीं इसके प्रसाद से तेजस्विता, निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।
प्रत्यक्ष देव भास्कर को प्रिय है सप्तमी तिथि
पंडित झा ने बताया कि प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर को सप्तमी तिथि अत्यंत प्रिय है। विष्णु पुराण के अनुसार तिथियों के बंटवारे के समय सूर्य को सप्तमी तिथि प्रदान की गई। इसलिए उन्हें सप्तमी का स्वामी कहा जाता है। सूर्य भगवान अपने इस प्रिय तिथि पर पूजा से अभिष्ठ फल प्रदान करते हैं।
सूर्य के तेज में खतरनाक वायरस को नष्ट करने की है क्षमता
ज्योतिषी झा ने कहा कि इस बार चैती छठ के व्रती को भगवान भास्कर की उपासना से कोरोना जैसी महामारी के प्रकोप से लड़ने की क्षमता मिलेगी, क्योंकि सूर्य की रौशनी से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। इससे व्रती को इस चार दिवसीय अनुष्ठान में उनका ज्यादा समय सूर्य की रौशनी में ही बीतेगा। सूर्य के तेज में खतरनाक वायरस, विषाणु एवं हानिकारक जीवाणु को नष्ट करने की क्षमता विद्यमान है। मान्यता भी है कि छठ महापर्व के दौरान इनके तेज में कई गुना वृद्धि हो जाती है।

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