राज्य में अब ग्राम पंचायतों की बनेगी वेबसाइट, जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए एनआईसी को दिया गया कार्य

पटना। बिहार में ग्रामीण शासन प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के राज्य सरकार के मिशन के रूप में सभी ग्राम पंचायत इकाइयों की अपनी वेबसाइटें होंगी। इससे उनके संबंधित अधिकार क्षेत्र के ऐतिहासिक और जनसांख्यिकीय विवरण होंगे। राज्य पंचायती राज विभाग ने प्रत्येक ग्राम पंचायतों के लिए व्यापक वेबसाइट विकसित करने के लिए बिहार राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (बेल्ट्रॉन), राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) और अन्य केंद्र सरकार के संस्थान से संपर्क किया है। जिससे योजनाओं की स्थिति सहित प्रत्येक गतिविधि हो सके। राज्य मुख्यालय से होगी निगरानी पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि विभाग को विभिन्न सरकारी एजेंसियों से कोटेशन मिलने के बाद सभी 8387 ग्राम पंचायतों की वेबसाइट विकसित करने की परियोजना शुरू हो जाएगी। वेबसाइटों में क्षेत्र के निर्वाचित प्रतिनिधियों के विवरण के अलावा सभी जनसांख्यिकीय विवरण, ऐतिहासिक महत्व के स्थान, महत्वपूर्ण संस्थान शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘वेबसाइटों को प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) और व्यापक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (सीएफएमएस) से लैस किया जाएगा ताकि ग्राम पंचायतों में विकास और अन्य गतिविधियों पर खर्च किए गए फंड के प्रत्येक पाई के लिए अधिक जवाबदेही लाया जा सके। ग्राम पंचायतों के सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों और अन्य पदाधिकारियों को वेबसाइटों को संभालने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों को अनुदान के रूप में आवंटित किए 3261 करोड़ रुपये
विभाग के अधिकारियों ने कहा कि राज्य भर में पंचायती राज संस्थानों को धन के भारी प्रवाह को देखते हुए डिजिटल वित्तीय प्रबंधन प्रणाली से निपटने के लिए डिजिटल शिक्षा और कौशल सशक्तिकरण बहुत जरूरी हो गया है। इस वर्ष विभाग का इरादा स्वास्थ्य, विकास और शासन क्षेत्रों पर ग्राम पंचायतों के माध्यम से 8500 करोड़ रुपये का अनुदान खर्च करने का है। इसमें से 3,900 करोड़ रुपये विकास के लिए और 1150 करोड़ रुपये स्वास्थ्य क्षेत्रों के लिए रखे गए हैं। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत बिहार को फंड उपलब्ध कराया गया है। चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार ने भी ग्राम पंचायतों के लिए अनुदान के रूप में 3261 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पिछले वर्षों में कुछ वित्तीय अनियमितताएं सामने आई थीं और विभाग को जांच के लिए कदम उठाना पड़ा क्योंकि अधिकांश वित्तीय लेनदेन मैन्युअल रूप से किए जा रहे थे। अब, विभाग ग्राम पंचायतों के खर्च के लिए वित्तीय निगरानी की उन्नत प्रणाली पर जोर दे रहा है।

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