पटना में फिर मिले कोरोना के तीन नए मामले, एक्टिव मरीजों की संख्या हुई 40, सतर्क रहने की अपील

पटना। पटना में एक बार फिर कोरोना वायरस के मामले सामने आने लगे हैं। मंगलवार को जिले में तीन नए संक्रमितों की पुष्टि हुई है, जिससे यहां कुल सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है। यह जानकारी सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार ने दी। इन नए मामलों की पुष्टि कंकड़बाग स्थित एक निजी लैब में हुई जांच के बाद की गई है, जो यह दर्शाता है कि अब भी वायरस की मौजूदगी बनी हुई है और हमें सतर्क रहने की जरूरत है।
जांच में लापरवाही, निजी लैबों पर बढ़ती निर्भरता
इस बार सामने आए अधिकतर मामले निजी लैबों की जांच से सामने आए हैं। पीएमसीएच जैसे बड़े सरकारी अस्पतालों में अब तक किसी भी मरीज की कोविड जांच नहीं हो पाई है, जो व्यवस्था में ढीलापन और लोगों की असावधानी को दर्शाता है। लक्षण दिखने पर सबसे पहले रैपिड किट से जांच की जाती है और यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो आरटी-पीसीआर जांच से पुष्टि की जाती है। यह प्रक्रिया बताती है कि अभी भी लोग कोरोना के प्राथमिक लक्षणों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जिससे संक्रमण का खतरा और अधिक बढ़ सकता है।
दक्षिण भारत में भी बढ़ रही चिंताएं
कोरोना संक्रमण केवल बिहार तक सीमित नहीं है। दक्षिण भारत से भी हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। कर्नाटक में सोमवार को कोरोना से दो और लोगों की मौत हुई है। राज्य में कोविड से अब तक कुल 11 मौतें हो चुकी हैं। बेलगावी की 51 वर्षीय महिला, जो पहले से ही अन्य बीमारियों से पीड़ित थीं, ने 8 जून को दम तोड़ा। वहीं, दक्षिण कन्नड़ जिले में 79 वर्षीय बुजुर्ग की मृत्यु कोविड निमोनिया की वजह से हुई। खास बात यह है कि दोनों मृतकों को कोरोना रोधी टीका लग चुका था। इसका सीधा संकेत यह है कि टीकाकरण के बावजूद भी एहतियात और सावधानी बरतना आवश्यक है।
टीकाकरण जरूरी लेकिन अकेले पर्याप्त नहीं
टीका संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन यह पूर्ण सुरक्षा की गारंटी नहीं है। वैक्सीन लेने के बाद भी यदि व्यक्ति अन्य रोगों से ग्रसित हो या प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो, तो संक्रमण जानलेवा बन सकता है। अतः सतर्कता, नियमित जांच और सार्वजनिक स्थलों पर सावधानी ही सुरक्षित रहने का प्रमुख उपाय है।
कोरोना का धीमा लेकिन सतत प्रसार
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की यह चुपचाप लौटती उपस्थिति एक चेतावनी है। बदलता मौसम, सार्वजनिक स्थलों पर अनुशासन की कमी और लक्षणों को नजरअंदाज करने की प्रवृत्ति संक्रमण के पुनः उभार का कारण बन रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस समय लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है, खासकर भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मास्क पहनना, हाथ धोना और उचित दूरी बनाए रखना आवश्यक है।
आगे की राह
फिलहाल यह आवश्यक हो गया है कि प्रशासन और आमजन दोनों मिलकर फिर से जागरूकता लाएं। सरकारी अस्पतालों में जांच व्यवस्था को बेहतर बनाना होगा और लोगों को प्राथमिक लक्षणों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। कोरोना ने अतीत में जो नुकसान पहुंचाया, उससे सबक लेते हुए हमें अब और अधिक सजग रहने की जरूरत है। तभी हम संक्रमण की इस चुपचाप लौटती आहट को समय रहते रोक सकते हैं।

You may have missed