सर्दी और कड़ाके की ठंड में खान पान और रहन सहन में बदलाव से करें बचाव

फुलवारीशरीफ,अजीत। बिहार में अभी कड़ाके की ठंड पड़ रही है। यूं तो सर्दियों के मौसम में आम लोगों की परेशानी काफी बढ़ जाती है। बच्चे, बूढे़, जवान, मवेशियों तक भारी कठिनाई में समय बिताने को विवश होते हैं। खासकर हृदय, दमा रोगियों के लिये सर्दी का मौसम बहुत ही खतरनाक होता है। इसके अलावा खाँसी, जुकाम, जोड़ो का दर्द भी लोगों को काफी परेशान करती है। ऐसे में इन तमाम स्थितियों में अगर आपको कड़ाके की ठंढ़ से बचना है तो सामान्य खर्च पर देशी तरीको का इस्तेमाल कर आप पुरे साल तनदुरुस्त, स्वस्थ्य और प्रसन्न रह सकते है। इसके साथ ही खान- पान, रहन,-सहन, आहार और देशी खुराक से स्वास्थ्य को चुस्त- दुरूस्त और मस्त रखा जा सकता है। कड़ाके की हो रही ठंड के कारण लोग घरों में दुबके रहे हैं और निजी स्तर से अलाव की व्यवस्था कर रखा है। इस संबंध में हेम्योपैथ चिकित्सकों का मानना है कि सर्दियों के मौसम में जितना भी हो सके आलस से बचने का प्रयास करें। होमियो पैथिक चिकित्सक डॉक्टर अतहर इमाम बताते हैं की से जैसे जैसे ठंढ़ बढ़े वैसे वैसे खान पान में परिवर्तन करना चाहिये। चूंकि बाहरी तापमान से तालमेल बैठाने के लिए इस मौसम में शरीर का भीतरी तंत्र ज्यादा मुस्तैदी से काम करने लगता है।बाहर पड़ रही शीत का संपर्क हमारी त्वचा से बना रहता है, तो शरीर के भीतर मौजूद जठराग्नि प्रबल हो जाती है, तो ऐसे में सर्दियों में पाचन शक्तियों में इजाफा हो जाता है। डॉक्टर अतहर इमाम ने बताया देर रात को भोजन नही करें। यदि करें भी तो देर तक जगें नही। ठंढ़ की शुरुवात होते ही दुध,मलाई,उड़द की दाल एवं तिल जैसी चिकनाई वाली और पौष्टिक चीजों का भोजन में उपयोग करना चाहिये।भोजन सही नही हो तो पौष्टिक एवं गरिष्ठ चीज नही खायें। तापमान में बदलाव के कारण दील की धमनियों मे सिकुड़न आ जाती है। ऑक्सीजन की आपूर्ति और खून के बहाव पर दबाव पड़ने लगता है।ठंढ़ी हवाओं के साथ सर्दी जुकाम और गले में सुजन पैदा करने वाले वैक्टीरीया रोगी की मुसीबत बढा़ देती है।सर्दी शरीर में वात और कफ की वृद्धि का मौसम है।चूंकि जोड़ो का दर्द वात असंतुलन के कारण होता है।परिणामस्वरुप ठंढ़ी में तखलीफ बढ़ जाती है। सब्जियाँ,फाईबर युक्त भोजन,अंकुरित अनाज व सूखे मेंवें लें। पानी खुब पीयें।पाचन ठीक रहेगा।

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