जातीय गणना की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पूरी तरह से फर्जी, सरकार ने केवल अपने फायदे के लिए बनाया: प्रशांत किशोर

पटना। जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार की ओर से पेश किए गए जातिगत जनगणना की आर्थिक रिपोर्ट के आंकड़ों को फर्जी बताया हैं। उन्होंने कहा कि मैं पदयात्रा करते समय रोज अपनी सभा में कहता हूं कि बिहार में 80% लोग यानी कि 100 में 80 आदमी दिन में 100 रुपए नहीं कमाते हैं। सरकार ने जो आंकड़े जारी किए हैं, वो जनता को बेवकूफ बनाने वाली बात है। हाउसहोल्डिंग इनकम है, ये इंडीविजुअल इनकम नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक के आंकड़े उठाकर देख लीजिए, 80% बिहार के लोग दिन का 100 रुपया भी नहीं कमाते हैं। ये जानने के लिए नीतीश कुमार के सर्वे की रिपोर्ट को देखने की जरूरत नहीं है। इंटरनेट पर ये डेटा पड़ा है। दुनिया के जो सबसे ऑथेंटिक डेटा सोर्स हैं वो इस सच्चाई को बता रहे हैं। नीतीश कुमार का फर्जी डेटा और क्लेम पढ़ने की जरूरत नहीं है। प्रशांत किशोर ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि भैया दिन की मजदूरी 300 रुपया है तो 100 रुपया कैसे है? मान लीजिए कि किसी परिवार में एक आदमी को मजदूरी मिली 300 रुपए और उस परिवार में 5 सदस्य हैं तो हर सदस्य के दिन में पड़ा 60 रुपए। इतना ही नहीं, आदमी को महीने में सिर्फ 15 दिन मजदूरी मिली तो 1 व्यक्ति की प्रति व्यक्ति आय मात्र 30 रुपए हुई। जब यहां के आदमी को समझ ही नहीं है तो क्या कहा जाए। उन्होंने कहा कि बिहार में नेता वही है जिसे न भाषा का ज्ञान हो न विषय का ज्ञान हो। जो शर्ट के ऊपर गंजी पहने उसी को समाज जमीनी नेता मानता है। जो जीवन में कभी स्कूल नहीं गया, फेल हुआ, सबसे पिछली बेंच पर बैठा, वही यहां का नेता है। विडंबना देखिए कि वही बताता है कि विकास हो रहा है। नेता को भले “विकास” में हरसई और दीर्घ ई की मात्रा लिखनी न आती हो, मगर वो विकास पर लंबा-चौड़ा भाषण दे रहा है।

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