जातीय गणना पर सुप्रीम कोर्ट में हई सुनवाई: हाईकोर्ट के फैसले रोक लगाने से इंकार, सरकार बोली- सर्वे का काम पूरा हुआ

पटना। बिहार में जाति आधारित गणना पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो गई। बिहार सरकार ने कोर्ट को जानकारी दी है कि राज्य में जाति आधारित सर्वे का काम पूरा हो गया है और आंकड़े भी अपलोड कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर किसी भी तरह की रोक लगाने से मना कर दिया है। आज याचिकाकर्ता के वकील ने बिहार में हो रही जातिगत गणना का ब्योरा रिलीज कराने की मांग कर दी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि बिहार सरकार का पक्ष सुने बिना कोई रोक नहीं लगाई जा सकती। नालंदा के रहने वाले याचिकाकर्ता ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसमें जातीय गणना पर रोक लगाने की मांग की है। इससे पहले 14 अगस्त को सुनवाई टल गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि बिना दोनों पक्षों की बात सुने कोई आदेश नहीं दे सकते। इस मामले पर दाखिल की गई दूसरी याचिकाएं भी 18 अगस्त को लिस्टेड थी। इसलिए सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो रही है।
एक अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने दिया था फैसला
एक अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है। इसके तुरंत बाद नीतीश सरकार ने जातीय गणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था। सरकार ने सभी डीएम को आदेश दिया कि हाईकोर्ट के फैसले के आलोक में जातीय गणना के बचे काम को पूरा करें। पिछले एक सप्ताह से यह काफी तेजी से हो रहा है। पटना जैसे बड़े जिले का काम लगभग पूरा होने वाला है। विभागीय सूत्रों की माने तो लगभग यह काम खत्म हो चुका है। डेटा कलेक्शन का काम भी पूरा हो गया है। अब डेटा को ऑनलाइन फीड किया जा रहा है। वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अनुसार बिहार सरकार जातीय गणना नहीं, सिर्फ सिर्फ लोगों की आर्थिक स्थिति और उनकी जाति से संबंधित जानकारी लेना चाहती है। जिससे उनकी बेहतरी के लिए योजना बनाई जा सके। सरकार उन्हें बेहतर सेवा देने के लिए एक ग्राफ तैयार कर सके। बिहार सरकार ने भी इसके लिए 500 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना भी बनाई है।

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