शारदीय नवरात्र कल से; हाथी पर सवार होकर घर-घर बिराजेगी मां दुर्गा, पटना में तैयारियां अंतिम चरण में

पटना। मां दुर्गा की उपासना को लेकर भक्त काफी उत्साहित हैं। 15 अक्टूबर दिन रविवार से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है। हर तरफ तैयारियां जोरों पर है। शारदीय नवरात्र में ग्रह-नक्षत्रों की शुभ स्थिति में विद्यमान होने से हर दिन शुभ योग बन रहा है। इसलिए नवरात्र में खरीदारी, निवेश आदि के लिए प्रत्येक दिन शुभ मुहूर्त रहेगा। शारदीय नवरात्र में तिथि, वार और नक्षत्रों के संयोग से लगभग हर दिन शुभ योग रहेगा। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना या कलश स्थापना करने का विधान है। इस बार 15 अक्टूबर को रात्रि 11 बजकर 52 मिनट पर प्रतिपदा तिथि की शुरुआत हो रही है। इसके साथ ही शाम 06 बजकर 43 मिनट पर चित्रा नक्षत्र भी है। पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि यानी 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त रहेगा। कलश स्थापना के लिए एक और शुभ मुहूर्त है। आप 15 अक्टूबर 2023 के सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक है। ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री के अनुसार, इस साल 10 बजकर 30 मिनट से पहले और दोपहर 01 बजकर 30 मिनट के बाद कलश स्थापना के लिए सबसे उत्तम माना जा रहा है। आप इस शुभ मुहूर्त में आप घटस्थापना कर सकते है। आज महालया मनाया जायेगा और रविवार को ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में घरों, दुर्गा मंदिरों से लेकर पूजा पंडालों तक में कलश स्थापना होगी। कलश स्थापना के साथ नौ देवियों की पूजा शुरू की जायेगी।
हाथी पर सवार होकर घर-घर बिराजेगी मां दुर्गा
साल में चार बार नवरात्रि पर्व मनाए जाते हैं। 2 बार गुप्त नवरात्रि और 2 बार शारदीय और चैत्र नवरात्रि। 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। हर बार मां दुर्गा की सवारी आने वाली समय को लेकर भविष्यवाणी करती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से हो रही है। ऐसे में इस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर भक्तों के बीच आ रही हैं। बता दें कि नवरात्रि के शुरू होने के दिन से ही मां अम्बे की सवारी तय होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार के दिन होती है, तो मां अम्बे हाथी पर सवार होकर आती हैं। वैसे को सभी यही जानते हैं कि मां दुर्गा की सवार शेर है। लेकिन धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी दुर्गा के आगमन का वाहन हाथी, घोड़ा, नाव, पालकी भी शामिल है। ऐसा माना जाता है कि जिस साल मां अम्बे हाथी पर सवार होकर आती हैं, उस साल अधिक वर्षा होती है। खेती के लिहाज के इसे बहुत अच्छा माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हाथी को खुशहाली और संपन्नता का प्रतीक माना गया है। ऐसे में व्रती के घर सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। मां का आगमन हाथी पर होगा लेकिन ववे प्रस्थान मुर्गे पर करेंगी। नवरात्रि का समापन शनिवार और मंगलवार के दिन होता है, तो मां दुर्गा मुर्गे पर प्रस्थान करती हैं। ये वाहन दुख और कष्ट का संकेत देता है। वहीं, रविवार और सोमवार के दिन समाप्त होने पर मां दुर्गा भैंस पर प्रस्थान करती हैं। जिसे बेहद अशुभ माना जाता है। वहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि बुधवार और शुक्रवार के दिन मां हाथी पर जाती हैं, जो कि ज्यादा वर्षा का संकेत देता है। शास्त्रों के अनुसार गुरुवार के दिन नवरात्रि का समापन होने पर मां मनुष्य के ऊपर सावर होकर जाती हैं। इसे सुख-समृद्धि में वृद्धि का संकेत माना जाता है।

About Post Author

You may have missed