कार्तिक पूर्णिमा को सदी का दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को, नहीं लगेगा सूतक; जानिए राशियों पर प्रभाव

पटना। कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा 19 नवंबर को कृत्तिका नक्षत्र, परिघ योग व वृष लग्न में इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण लग रहा है। यह चंद्रग्रहण खण्डग्रस्तोदित चंद्रग्रहण होगा। ज्योतिषशास्त्र में ग्रहण को अशुभ माना जाता है। यह चंद्रग्रहण खण्डग्रस्तोदित होने के कारण इसका कोई विशेष धार्मिक महत्व नहीं होगा। खण्डग्रस्तोदित चंद्रग्रहण में मोक्ष सूक्ष्मता से देखने पर ही दिखाई देता है। यह चंद्रग्रहण वृष राशि और कृत्तिका नक्षत्र में होने से ग्रहण का ज्यादा प्रभाव इसी राशि और नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों पर पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्रग्रहण में गंगा स्नान से एक हजार वाजस्नेय यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। इसीलिए ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान एवं घरों में इसका छिड़काव किया जाता है।
चंद्रग्रहण का समय काल
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने पंचागों के हवाले से बताया कि चंद्रग्रहण दोपहर 12:48 बजे से आरंभ होकर शाम 04:17 बजे खत्म हो जाएगा। वहीं इस ग्रहण का मध्य दिन दोपहर 02:33 बजे होगा। वर्ष के द्वितीय खण्डग्रस्तोदित चंद्रग्रहण की अवधि करीबन 03 घंटे 29 मिनट का रहेगा। चंद्र ग्रहण का सूतक नौ घंटे पहले ही शुरू हो जाता है। चंद्रग्रहण में सफेद फूल और चंदन से चंद्रमा और भगवान शिव की आराधना करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। गुरु को स्मरण करें। ग्रहण समाप्त होने पर स्नान कर लें। गंगाजल में ईत्र मिलाकर पूरे घर में छिड़काव करें, जिससे धनलक्ष्मी और सौभाग्य की प्राप्ति होगी।
भारत के सुदूर पूर्वी सीमा पर दिखेगा चंद्रग्रहण
ज्योतिषी झा ने कहा कि यह चंद्रग्रहण भारत के सुदूर पूर्वी सीमा पर दिखेगा। ग्रहण काल में परिस्थितियां ऐसी बनेगी कि जिस समय ग्रहण का स्पर्श और अंत समय रहेगा, उस समय भारतीय दृश्यकाश से चन्द्रमा दिखाई नहीं देगा क्योंकि दोपहर का समय रहेगा। ज्योतिषशास्त्र में ऐसे ग्रहण को ग्रस्तोदित ग्रहण माना गया है। भारत के सुदूर पूर्वी क्षितिज तथा अरुणाचल प्रदेश के अतिरिक्त यह ग्रहण आॅस्ट्रेलिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, रूस और चीन में देखा जायेगा। ग्रहण जहां दिखाई पड़ता है, उसका फलाफल भी वहीं लगता है।
स्नान-दान से मिलेगा पुण्यफल
ज्योतिष विद्वान राकेश झा शास्त्री ने कहा कि मंत्रों का जाप करने के लिए ग्रहण काल सबसे अच्छा मुहूर्त होता है। इस दौरान गायत्री मंत्र का जाप, हनुमान चालीसा और हनुमान जी के मंत्रोच्चारण श्रेष्यकर होता है। ऐसा करने से सभी राशि के जातक के दोष दूर होते हैं। गुरु, ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान किया जाता है। मान्यता है कि ग्रहण के वक्त या बाद में दान करने से समृद्धि तथा धन की देवी लक्ष्मी माता की विशेष कृपा होती है। चंद्रग्रहण के बाद स्नान और दान से विशेष लाभ मिलता हैं। दान में गेहूं, धान, चना, मसूर दाल, गुड़, अरवा चावल, सफेद-गुलाबी वस्त्र, चूड़ा, चीनी, चांदी-स्टील की कटोरी में खीर दान करना उत्तम होता है।
चन्द्र ग्रहण का राशियों पर प्रभाव
कार्तिक पूर्णिमा को इस सदी दूसरा व अंतिम चन्द्रग्रहण वृष राशि एवं कृत्तिका नक्षत्र में लगेगा। इस ग्रहण का प्रभाव सभी बारह राशियों पर होगा। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक तुला, कुंभ व मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण सामान्य परिणाम देगा। कैरियर में सफलता, नौकरी, व्यवसाय में तरक्की, धन लाभ की संभावना बन रहा है। वहीं दूसरी तरफ मेष, वृष, सिंह व वृश्चिक राशि वालों को थोड़ी कुछ परेशानियां हो सकती है।

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