संप्रदा बाबू के निधन से मर्माहत हुए पूर्व विधायक राहुल कुमार, बताया अपूरणीय क्षति

मुंबई। बिहार के शान एवं देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक फार्मा इंडस्ट्री के महारथी संप्रदा सिन्हा के निधन पर घोसी के पूर्व विधायक राहुल कुमार ने गहरा दुख जताया है।पूर्व विधायक राहुल कुमार ने कहा कि संप्रदा बाबू के चले जाने से न सिर्फ पूरा मगध बल्कि पूरा देश मर्माहत है।उन्होंने कहा कि संपदा बाबू उनके लिए अभिभावक के समान थे।उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में संप्रदा बाबू ने घोसी का नाम-प्रतिष्ठा की रोशनी फैलाई थी।जिसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है।उन्होंने कहा कि संप्रदा बाबू न सिर्फ घोसी एवं बिहार बल्कि पूरे देश के लिए अनमोल धरोहर थे। उनका यूं चला जाना पूरे देश के लिए अत्यंत दुख एवं पीड़ा का सबब है।संप्रदा बाबू के महान व्यक्तित्व एवं जीवन पर प्रकाश डालते हुए पूर्व विधायक राहुल कुमार ने बताया कि संप्रदा सिंह देश के ऐसे सम्मानित फार्मास्युटिकल उद्यमी थे, जिन्हें फार्मा उद्योग के आॅस्कर के समकक्ष एक्सप्रेस फार्मा एक्सीलेंस अवाॅर्ड से नवाजा गया था।संप्रदा बाबू ने 1953 में पटना में एक दवा दुकान से शुरुआत की थी। यह एक समझौता था। बिहार के जहांनाबाद जिले के घोसी प्रखण्ड के छोटे से गांव ओकरी के एक किसान परिवार में जन्मे संप्रदा सिंह डाॅक्टर बनना चाहते थे। मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं मिला तो वे दवा विक्रेता बन गए।1960 में पटना में ही उन्होंने फार्मास्युटिकल्स डिस्ट्रिब्यूशन फर्म मगध फार्मा खोली। मेहनत व मिलनसारिता से कई बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के वे डिस्ट्रीब्यूटर बन गए, पर दवा बेचना उनकी नियति नहीं थी।

विक्रेता से निर्माता का सफल मुकाम

दवा विक्रेता से दवा निर्माता बनने का संकल्प लेकर वे मुंबई शिफ्ट हो गए। यहां 1973 में उन्होंने स्थापित की एल्केम लेबोरेटरीज।आज 30 देशों में उनका कारोबार फैला हुआ है। फोर्ब्स इंडिया ने 100 टॉप भारतीय कुबेरों की सूची में संप्रदा सिंह को 52वां क्रम प्रदान किया था। जिससे पूरा जहानाबाद गौरवान्वित हो गया था ।1.85 बिलियन डाॅलर निजी संपदा के धनी संप्रदा सिंह यह दर्जा हासिल करने वाले पहले बिहारी उद्यमी थे।

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