बिहार, झारखंड, उड़ीसा और बंगाल का एक ही इमारत शरिया, इसको लेकर कोई भी भ्रम में ना रहे

फुलवारीशरीफ, अजीत। इमारत-ए-शरिया से झारखंड अलग नहीं हुआ और ना ही होगा।कुछ चंद लोगों ने अपने स्वार्थ में ऐसा एलान कर दिया था की झारखंड का अलग इमारत शरिया हो गया है जिसका मुल्क और विदेशों में भी काफी फजीहत हुई। चंद लोग साजिश कर रहे थे लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। पिछले कुछ दिनों से इमारत शरिया एदारा का झारखंड में अलग इमारत शरिया होने का चर्चा कुछ लोगों ने चलाया। इससे बिहार झारखंड बंगाल उड़ीसा के अलावा देश-विदेश में काफी विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई। इस संबंध में इमारत ए शरिया बिहार, झारखंड, उड़ीसा व बंगाल के नायब अमिर-ए-शरियत मौलाना शमशाद रहमानी ने बताया कि कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए ऐसा एलान कर दिया था। जब उनका एलान जारी हुआ तब देश और दुनिया में उनकी काफी बदनामी हुई और झारखंड में भी इस बात का विरोध होने लगा। लोगों ने इमारत ए शरिया को झारखंड से अलग करने पर अपना कड़ा विरोध जताया। इस कारण विरोधियों को कुछ हासिल ना हो सका।  इमारत-ए-शरिया में पिछले अमीर ए शरीयत स्वर्गीय मौलाना वली रहमानी जो सख्त कानून के पालक माने जाते थे। वह जब अमिर ए शरियत बने तब उन्होंने वर्षों से कायम प्रथा जन्मजात पद को समाप्त करते हुए सेवानिवृत की आयु 60 वर्ष तक कर दी। इसी कई ऐसे लोग जो उम्र पार करने के बाद भी बड़े बड़े और छोटे छोटे पद पर तैनात थे, उन्हें सेवानिवृत कर दिया गया। उनके इस कार्य की सराहना भी की गई मगर इसके बाद संस्थान में ही गुट बाजी भी शुरू हो गई। अमिर-ए-शरियत मौलाना वली रहमानी के मृत्यु के बाद नये अमिर-ए-शरियत बनने की राह में गुट बाजी सामने आई। इस गुट बाजी के कारण ही अमिर ए शरियत का चुनाव कराना पड़ा। चुनाव में वली रहमानी के बेटे मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी नए अमिर-ए-शरियत बने। मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी उच्च शिक्षा प्राप्त और अमेरीका में अच्छे ओहदे पर तैनात थे। नए अमिर के बाद भी अंदरखाने गुट बाजी जारी रही। इस संबंध अमिर-ए-शरियत के नाजिम हजरत मौलाना शिब्बली कासमी ने बताया कि अमिर-ए-शरियत बिहार झारखंड उड़ीसा व बंगाल एक था एक है और एक रहेगा। विरोधियों को समाज ने खारिज कर दिया है। ऐसे विरोधियों के लिए अमिर-ए-शरियत में कोई स्थान नहीं है। अमिर-ए-शरियत हर धर्म मजहब जात के लिए कार्य करता रहा है और करता रहेगा।

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