मसौढ़ी में प्राथमिक विद्यालय के छत का छज्जा गिरा, कोई हताहत नहीं, मचा हड़कंप
पटना। मसौढ़ी नगर मुख्यालय के उर्दू प्राथमिक विद्यालय रहमतगंज में बुधवार को एक बड़ी दुर्घटना होते-होते टल गई। क्लासरूम में पढ़ाई के दौरान अचानक छत का बड़ा प्लास्टर का टुकड़ा नीचे बेंच पर गिर गया। गनीमत रही कि इस हादसे में किसी भी छात्र को कोई चोट नहीं आई, लेकिन इस घटना के बाद स्कूल में अफरा-तफरी मच गई। विद्यालय का भवन काफी जर्जर हालत में है, और बच्चे इस खतरनाक स्थिति में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। स्कूल के प्रभारी, मोहम्मद शादाब जेया, ने कई बार अधिकारियों को इस जर्जर भवन की स्थिति के बारे में सूचित किया है। उन्होंने बताया कि 4 अक्टूबर 2021 से लगातार पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन अब तक किसी भी प्रकार की मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ है। अधिकारियों की इस उदासीनता के कारण बच्चों की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। घटना के बाद सभी बच्चों को क्लासरूम से निकालकर स्कूल के बाहर के बरामदे में बैठा दिया गया, जहां फिलहाल पढ़ाई जारी है। बच्चों ने इस घटना के बाद अपने डर को जाहिर करते हुए कहा कि वे रोजाना डर के साए में पढ़ाई करने आते हैं और हमेशा इस बात की चिंता रहती है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए। दस दिन पहले भी एक ऐसा ही प्लास्टर का टुकड़ा गिरा था, जिससे बच्चों में दहशत फैल गई थी। इस विद्यालय में कुल 133 बच्चे नामांकित हैं, और यहां पर 6 शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से पांच शिक्षक तालिमी मरकज के हैं और एक प्रधानाचार्य हैं। प्रधानाचार्य मोहम्मद शादाब ने बताया कि छह बार लगातार विद्यालय की खस्ता हालत के बारे में त्राहिमाम संदेश भेजा जा चुका है, लेकिन अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। सरकार की ओर से जारी किए गए निर्देशों के अनुसार, राज्य के सभी जर्जर स्कूल भवनों को चिह्नित किया जा रहा है और उन्हें मरम्मत के लिए धनराशि भी आवंटित की जा रही है। कुछ स्कूलों को दूसरे स्थानों पर शिफ्ट करने का भी निर्णय लिया गया है। रहमतगंज विद्यालय के लिए भी त्राहिमाम संदेश भेजा गया है, लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस घटना ने फिर से सरकार और प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है, जहां बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है। यह आवश्यक है कि जल्द से जल्द इस विद्यालय की मरम्मत कराई जाए या इसे किसी सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए ताकि बच्चों को भयमुक्त वातावरण में पढ़ाई का अवसर मिल सके। इस प्रकार की घटनाएं न केवल बच्चों के शारीरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालती हैं। अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन कब इस मामले में गंभीरता दिखाते हैं और कब बच्चों को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराते हैं।