राजद ने ज्वलंत मुद्दों पर की विशेष चर्चा और चिंतन : तेजस्वी बोले- बंटवारा और तनाव का माहौल बनाकर असल मुद्दे से भटकाया जा रहा ध्यान
- जातीय जनगणना पर सीएम नीतीश 48 से 72 घंटे के अंदर अपनी मंशा और स्थिति स्पष्ट करें
पटना। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद के वरिष्ठ नेताओं के साथ दो दिवसीय बैठक में बिहार में जातीय जनगणना, महंगाई, रोजगार, पलायन, बढ़ती गरीबी, विशेष राज्य का दर्जा और पैकेज सहित अन्य ज्वलंत मुद्दों पर विशेष रूप से चर्चा और चिंतन की गई।
बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि सांप्रदायिक शक्तियां देश और बिहार के भाईचारे को तोड़ना चाहती है। बंटवारा और तनाव का माहौल बनाकर असल मुद्दे से ध्यान भटकाया जा रहा है और लोगों के बीच नफरत फैलाने की बातें की जा रही है। डबल इंजन सरकार में चर्चा हिन्दू-मुसलमान, मंदिर-मस्जिद, लाउडस्पीकर और बुलडोजर पर की जा रही है। जनता के असल सवालों से लोगों को भटकाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी और जातीय जनगणना की मांग को लेकर एक बड़ा संघर्ष और आंदोलन किया जायेगा और इन सब सवालों को लेकर पटना से दिल्ली तक पदयात्रा की जायेगी। जातीय जनगणना के मुद्दे पर सर्वदलिय शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से मिला और जब सभी लोग मिलकर सहमति के साथ इस मुद्दे पर गये तो मुख्यमंत्री भी जातीय जनगणना कराने के सवाल पर पूरी तरह सहमत थे। जब केन्द्र सरकार ने इंकार किया तो नीतीश कुमार ने स्वयं कहा था कि हम अपने स्तर से बिहार में जातीय जनगणना करायेंगे। लेकिन बाद में वे आॅल पार्टी मीटिंग बुलाने की बात करने लगे, जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि दो-दो बार बिहार विधानसभा और विधान परिषद से प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार के पास भेजा गया लेकिन अब किस दबाव और मंशा के तहत इस तरह की बातें कर रहे हैं, ये इन्हें स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराना सरकार का काम है, विपक्ष का काम नहीं।
तेजस्वी ने आगे कहा कि नीतीश कुमार स्वयं कहते हैं कि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार सबसे फिसड्डी राज्य है और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए लेकिन इनके ही कैबिनेट के दोनों उपमुख्यमंत्री इससे इंकार कर रहे हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले और इसकी आवश्यकता भी नहीं है। जबकि विशेष राज्य का दर्जा मिलना आवश्यक है और इसके लिए राजद केन्द्र सरकार दबाव बनाने का काम करेगी।
उन्होंने कहा कि बीपीएससी का पर्चा लीक होने का जिम्मेदारी और जवाबदेही किस पर होगी, सरकार स्पष्ट करे। साथ ही परीक्षार्थियों के आने-जाने में जो परेशानी हुई है, उसके लिए उन्हें पांच हजार रुपए का मुआवजा दिया जाय और उम्र सीमा को बढ़ाया जाय, क्योंकि बार-बार बीपीएससी तथा अन्य प्रतियोगिता परीक्षा में देरी और रद्द होने से छात्र की उम्र सीमा पर भी प्रभाव पड़ता है। हमलोगों का संकल्प रोजगार देने के प्रति रहा है लेकिन भाजपा ये क्यों नहीं बता रही है कि 19 लाख लोगों को रोजगार कैसे मिलेगा? उलजलूल बयान तथा नफरत का माहौल खड़ा करके भाजपा बिहार में साम्प्रदायिकता का माहौल बनाना चाहती है लेकिन ऐसे बयान पर भी मुख्यमंत्री खुश हैं, आखिर क्या बात है?
इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुलबारी सिद्दिकी, राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. मनोज कुमार झा, पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, राष्ट्रीय महासचिव जयप्रकाश नारायण यादव, श्याम रजक, भोला यादव, उपाध्यक्ष वृषिण पटेल, मुख्य सचेतक ललित कुमार यादव, प्रधान महासचिव आलोक कुमार मेहता, पूर्व सांसद विश्व मोहन मंडल, मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेन्द्र, प्रवक्ता एजाज अहमद, शक्ति सिंह यादव, सारिका पासवान, संगठन महासचिव राजेश यादव सहित अन्य नेता उपस्थित थे।