7822001155 पर करें मिस्ड कॉल, यौन पीड़ितों को मिलेगी सहायता

10000 किलोमीटर का सफर तय कर डिग्निटी मार्च पहुंची पटना
यौन शोषण मामलों में अपराधियों के लिए 100 फीसदी सजा की मांग

पटना। यौन शोषण के मामलों में अपराधियों के लिए 100 फीसदी सजा की मांग करते हुए डिग्निटी मार्च महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, पॉन्डिचैरी, तमिलनाडू, आन्ध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और रांची से गुजरने के बाद आज पटना पहुंची। पटना पहुंचने पर 10000 किलोमीटर की यह मार्च बहुत मजबूत हो चुकी है क्योंकि हजारों लोग इसके साथ जुड़ गए हैं। महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन उत्पीड़न को समाप्त करने के उद्देश्य से इस मार्च का आयोजन किया जा रहा है, ताकि पीड़ितों के बजाए अपराधियों में डर पैदा किया जा सके। डिग्निटी मार्च के पटना पहुंचने पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बिहार और भारत में यौन उत्पीड़न और बलात्कार की स्थिति पर चर्चा हुई। कार्यक्रम के दौरान आशिफ शेख, कन्वेनर, राष्ट्रीय गरिमा अभियान, डिग्निटी मार्च तथा बलात्कार एवं यौन उत्पीड़न से उबरे पीड़ितों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने ऐसे मामलों में रिपोर्ट दर्ज करने और कार्रवाई के महत्व पर रोशनी डाली।
आशिफ शेख ने कहा, हमारे समाज में यौन शोषण से पीड़ित लोगों को शर्मिंदा किया जाता है, जिसके कारण बहुत कम संख्या में एफआईआर दर्ज की जाती हैं, बहुत कम मामलों में अपराधियों को सजा मिलने के कारण उल्टे अपराधियों का हौसला बढ़ता जाता है। अगर अपराधियों में सजा का डर पैदा नहीं होगा तो इस तरह के अपराध कभी नहीं रुकेंगे। हमारी सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए कानून बनाए हैं लेकिन समय आ गया है कि इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। 100 फीसदी सजा के द्वारा ही ऐसे अपराधियों में डर पैदा किया जा सकता है और समाज को इस गंभीर खतरे से मुक्ति दिलाई जा सकती है। खासतौर पर बाल वैश्यावृत्ति एवं बच्चों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न में अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। इस मार्च के माध्यम से हम सभी से आहृान करते हैं कि आगे बढ़कर शिकायत दर्ज करें। हम सभी को सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे किसी भी अपराध में अपराधी सजा से बच कर न निकल पाए ताकि भविष्य में लोग ऐसा अपराध करने से डरें।
बता दें
नेशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो 2016 के आंकड़ों के अनुसार भारत में तस्करी किए जाने वाले 15,379 पीड़ितों में कुल 58.7 फीसदी बच्चे थे। इनमें से ज्यादातर बच्चों को कॉमर्शियल यौन शोषण के लिए चुराया गया। ये आंकड़े बिहार में बच्चों की गंभीर तस्वीर पेश करते हैं। आंकड़ों के अनुसार 2012 में बच्चों के साथ होने वाले अपराध के मामले 2894 थे, जो 2016 में 36 फीसदी बढ़कर 3932 पर पहुंच गए। इसी तरह महिलाओं के साथ होने वाले अपराध के मामले साल 2012 में 11229 थे, जो 2016 में 5 फीसदी बढ़कर 13400 पर पहुंच गए। बिहार 2016 में महिलाओं के साथ हुए अपराधों की प्रतिशतता के आधार पर 12वें स्थान पर और बच्चों के साथ हुए अपराधों की प्रतिशतता के आधार पर 9वें स्थान पर है। बच्चों के साथ हुए अपराध के मात्र 23.7 फीसदी मामलों में अपराधी को सजा मिली है जबकि राज्य में 96.1 फीसदी मामले लंबित हैं। इसी तरह महिलाओं के साथ हुए अपराध के 18.6 फीसदी मामलों में ही अपराधी को सजा मिली है, जबकि 94.3 फीसदी मामले लंबित हैं।

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