नाबालिक से दुष्कर्म के आरोपी पूर्व विधायक राजवल्लभ यादव को मिली 15 दिनों की पैरोल, जल्द आएंगे बाहर

पटना। बिहार की राजनीति में एक समय दबदबा रखने वाले नवादा के पूर्व विधायक और राजद नेता राजवल्लभ यादव को नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा मिली थी। अब उन्हें गृह विभाग की अनुमति के बाद 15 दिनों की पैरोल दी गई है। वे वर्तमान में पटना के बेऊर जेल में सजा काट रहे हैं। इस पैरोल की मंजूरी जेल प्रशासन और गृह विभाग की संयुक्त प्रक्रिया के बाद दी गई है।
पैरोल की मंजूरी और कारण
राजवल्लभ यादव को मिली पैरोल कई मानवीय आधारों पर दी गई है। जानकारी के मुताबिक, पैरोल का उद्देश्य उनकी वृद्ध मां की देखभाल, स्वयं की बीमारी के इलाज और पुश्तैनी जमीन के पारिवारिक बंटवारे से जुड़ा हुआ है। जेल आईजी प्रणव कुमार ने आदर्श केंद्रीय कारा बेऊर के अधीक्षक को पत्र भेजकर इस मंजूरी की जानकारी दी है। पैरोल की अवधि उनकी जेल से रिहाई की तिथि से गिनी जाएगी।
दुष्कर्म का मामला और दोषसिद्धि
राजवल्लभ यादव के खिलाफ 2016 में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगा था। पीड़िता ने दावा किया था कि 6 फरवरी, 2016 को एक महिला द्वारा उसे जन्मदिन की पार्टी में बुलाया गया और फिर बोलेरो गाड़ी से एक घर में ले जाया गया। वहां उसे नशीला पदार्थ पिलाकर राजवल्लभ यादव ने दुष्कर्म किया। मामले की जांच के दौरान कई बार रुकावटें आईं और यह मामला कुछ समय तक ठंडे बस्ते में भी रहा। हालांकि विवाद के बढ़ने पर उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया।
न्यायिक प्रक्रिया और सजा
ट्रायल के दौरान उच्च न्यायालय में कुल 20 गवाहों ने अपनी गवाही दी, जिसमें पीड़िता, डॉक्टर, फोरेंसिक विशेषज्ञ और जांच अधिकारी शामिल थे। सारे सबूतों और गवाहियों के आधार पर न्यायालय ने राजवल्लभ यादव को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह सजा बिहार की राजनीति में एक बड़े नेता की गिरती साख का प्रतीक बन गई।
बाहुबली नेता की छवि और विवाद
राजवल्लभ यादव की छवि नवादा और आस-पास के क्षेत्रों में एक बाहुबली नेता की रही है। राजनीति में उनके दबदबे और प्रभाव के चलते यह मामला शुरू में राजनीतिक रंग भी ले चुका था। हालांकि बाद में न्यायिक प्रक्रिया ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दोष सिद्ध किया। अब 15 दिनों के लिए जेल से बाहर आने पर राजवल्लभ यादव अपने निजी मामलों का निपटारा कर सकेंगे, लेकिन यह पैरोल अस्थायी है और सजा में कोई रियायत नहीं मानी जाएगी। जेल प्रशासन द्वारा तय शर्तों का पालन उन्हें इस अवधि में करना होगा। इस पूरी प्रक्रिया पर सरकार और मानवाधिकार संगठन भी नजर बनाए हुए हैं।
