पटना डेयरी में राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह में उत्पादन बढाने पर देना होगा जोर

फुलवारी शरीफ। शुक्रवार को ‘‘राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह’’ के कड़ी में चौथे दिन का कार्यक्रम ‘‘पटना डेयरी प्रोजेक्ट’’ के प्रांगण में आयोजित किया गया। विषय सर्कुलर इकोनोमी फॉर प्रोडक्टीविटी एंड सस्स टैनबीलिटी के उपर चर्चा की गई।
पटना डेयरी प्रोजेक्ट के मैनेजिंग डाइरेक्टर सुधीर कुमार सिंह ने उपस्थित सदस्यों एवं डेयरी उद्योग से आये सभी सज्जनों का स्वागत किया तथा अपने विचारों से अवगत कराया। उन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि उत्पादन बढाने पर जोर देने की जरुरत है और साथ ही उत्पादकों के हितो की रक्षा भी उतना ही जरुरी समझना होगा। उत्पादन में आ रही लागत के अनुसार ही उत्पादकों को अधिक मुनाफा मुहैया करवाना महत्वपूर्ण है। डेयरी उद्योग में किसानों की समस्याओं का हल है। उन्होंने कहा कि समस्याओं से घिरे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए केंद्र और बिहार सरकार पशुपालन और डेयरी उद्योग पर खास ध्यान दे रही है। दुग्ध व्यवसाय में वैश्विक स्तर पर भारत के उद्यमियों के लिए अनेक संभावनाएं हैं। उन्होंने डेयरी उद्योग के प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के तकनीकी बारीकियों पर भी बल दिया।
चर्चा में नेशनल प्रोडक्टिविटी से आये जे. के. सिंह ने अपषिष्ट पदार्थों के रिसाईक्लीनिंग पर बल दिया और उसे अर्थव्यवस्था का हिस्सा बने इस पर बल दिया। डेवलपमेंट मैनेजमेंट इंस्टीच्युट से आये प्रोफेसर सूर्य भूषण ने वर्तुलाकार अर्थव्यवस्था की बारीकियों एवं इसकी उपयोगिता की विस्तृत रूप से चर्चा की। आई.सी.ए.आर. के रिटायर्ड साईंटिस्ट जर्नादन ने खाद्य एवं कृषि के क्षेत्र में इस विषय की उपयोगिता एवं आर्थिक विकास पर बल दिया।  पूर्व में संस्था के सचिव जेनरल बी. के. सिन्हा ने संस्था के कार्यकलापों की जानकारी दी तथा संगोष्ठी के लिए चुने उपर्युक्त विषय को क्यों चुना गया, इसकी आवश्यकता महसूस की गयी, इस पर बल दिया। उन्होंने बताया की दुनिया की बढ़ती हुई आबादी और सम्पन्नता के कारण संसाधनों का अत्यधिक प्रयोग, उच्च मूल्य और बाजार में अस्थिरता में वृद्धि हुई है। ऐसे में एक सर्कुलर अथवा वर्तुलाकार अर्थव्यवस्था का दीर्घकालिक दृष्टिकोण, भारतीय बाजार की वर्तमान ताकत पर बनाया गया है। जिसमे व्यापार, नीति और शिक्षा के बोध में आकर्षक, इसके विपरित दीर्घकालिक समृद्धि पर एक अक्षयी विकास के रास्ते के लिए आधार प्रदान कर सकता है । इस चर्चा में एम. के. दास, डी. के. बख्सी, पी. के. वर्मा, मुनीन्द्र प्रसाद समेत अन्य गणमान्य लोगों ने अपनी राय और सुझाव दिए।

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