पटना में असामाजिक तत्वों ने रामविलास पासवान की प्रतिमा को किया क्षतिग्रस्त, नाक तोड़ी, मामला दर्ज

पटना। बिहार के मोकामा प्रखंड अंतर्गत चाराडीह गांव से एक चिंताजनक और दुखद घटना सामने आई है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की प्रतिमा को असामाजिक तत्वों द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया। यह घटना न केवल एक वरिष्ठ नेता का अपमान है, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की कोशिश भी मानी जा रही है।
प्रतिमा की नाक तोड़ी गई
इस घटना में प्रतिमा की नाक ईंट से तोड़ दी गई, जिससे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया। यह प्रतिमा चाराडीह स्थित बाबा चौहरमल मंदिर के पास स्थापित की गई थी। मंदिर के पुजारी विद्या पासवान ने प्रतिमा की स्थिति देखकर सबसे पहले क्षति की जानकारी दी। इसके बाद दलित समुदाय के सक्रिय कार्यकर्ता मिथिलेश पासवान ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत पुलिस को सूचित किया।
सामाजिक एकता पर चोट
मिथिलेश पासवान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह हरकत समाज की एकजुटता को तोड़ने की साजिश है। उनका कहना है कि रामविलास पासवान न केवल दलित समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहे हैं, बल्कि वे पूरे देश में सामाजिक न्याय के मजबूत पैरोकार के रूप में जाने जाते थे। ऐसे में उनकी प्रतिमा को नुकसान पहुंचाना एक गहरी साजिश का संकेत हो सकता है।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही घोसवरी प्रखंड के अधिकारी और पुलिस बल मौके पर पहुंच गए। मिथिलेश पासवान द्वारा दी गई लिखित शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पुलिस ने स्थानीय लोगों से पूछताछ शुरू की है और क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरों की भी जांच की जा रही है, ताकि दोषियों की पहचान की जा सके।
प्रखंड प्रशासन का बयान
घोसवरी प्रखंड के अंचल अधिकारी (सीओ) ने घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह कृत्य या तो किसी असामाजिक तत्व ने किया है या फिर कोई मानसिक रूप से असंतुलित व्यक्ति इस घटना के पीछे हो सकता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जांच निष्पक्ष रूप से की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों में रोष
इस घटना के बाद चाराडीह समेत आसपास के गांवों में रोष व्याप्त है। ग्रामीणों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में नफरत फैलाने की साजिश का हिस्सा हो सकती हैं। कई लोगों ने कहा कि इस प्रतिमा को न केवल श्रद्धा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, बल्कि यह सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है।
राजनीतिक और सामाजिक असर
रामविलास पासवान की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने की यह घटना सिर्फ एक मूर्ति को नुकसान पहुंचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दलित समाज के आत्मसम्मान पर भी एक सीधा हमला है। यह मामला अब राजनीतिक रंग भी पकड़ सकता है, क्योंकि कई दल इस पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि समाज में अभी भी कुछ ऐसे तत्व सक्रिय हैं जो जातीय और सामाजिक सद्भावना को तोड़ना चाहते हैं। प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि ऐसे तत्वों को पहचानकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। इसके साथ ही, यह भी ज़रूरी है कि समाज के सभी वर्ग मिलकर ऐसी नकारात्मक सोच का विरोध करें और एकता का संदेश दें।

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