पंचमी-षष्ठी सोमवार को, स्कंदमाता व कात्यायनी की होगी एक साथ पूजा

* मंगलवार को खुलेगा माता का पट, गुरुवार मनाया जायेगा महानवमी का महापर्व
* नवरात्र में एक तिथि क्षय होने से सोमवार को दो पूजा एक साथ


पटना। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा गुरुवार से शुरू हुये शारदीय नवरात्र के अंतर्गत शनिवार को विशाखा नक्षत्र में माता के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा हुई। कलश आदि आवाहित देवी-देवताओं की विधिवत पूजा के बाद संकल्पित पाठ को पूर्ण कर क्षमा प्रार्थना के बाद आरती उतारी गयी। घरों, मंदिरों के साथ पंडालों में भी भगवती की पूजा की जा रही है। अहले सुबह से ही गली-मुहल्लों, सड़क, चौक-चौराहे पर ध्वनि यंत्र के जरिये वेद मंत्र, घंटी आदि की आवाज सुनाई दे रही है। मानों पूरा शहर देवीमयी हो गया है। श्रद्धालु माता की आराधना में लीन हैं।
आयुष्मान योग में होगी मां कुष्मांडा की पूजा
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि आश्विन शुक्ल चतुर्थी रविवार को देवी के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा-आराधना किया जायेगा। अपनी मंद, हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की वजह से इनका नाम कूष्मांडा पड़ा है। इस देवी की उपासना भवसागर से पार उतारने के लिए सुगम व श्रेयस्कर मार्ग है। माता कूष्माण्डा अपने भक्तों को आधि-व्याधियों से विमुक्त तथा सुख, समृद्धि तथा उन्नति की ओर ले जाती हंै। इसीलिए लौकिक, परलौकिक उन्नति चाहने वाले साधक को कूष्माण्डा देवी की उपासना करनी चाहिए।
सूर्यलोक में निवास करने वाली एक मात्र देवी हैं कूष्माण्डा
ज्योतिषी झा के मुताबिक कूष्मांडा माता का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति केवल मां कूष्मांडा में विद्यमान है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है। अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा से भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा आयु, यश, बल एवं आरोग्य प्राप्त होता है। यह देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है।
पंचमी-षष्ठी सोमवार को, दो पूजा होगी एक साथ
आचार्य राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि आश्विन कृष्णपक्ष में द्वितीया तिथि दो दिन होने से शुक्ल पक्ष में एक तिथि कम हो गया है, इसीलिए शारदीय नवरात्र नौ के बजाये आठ दिन का हो गया है। सोमवार को एक साथ देवी के पंचम व षष्ठम स्वरूप की पूजा होगी। इस दिन संपूर्ण पाठ करने वाले श्रद्धालु अपना पाठ दो बार करेंगे। सोमवार को स्कंदमाता एवं देवी कात्यायनी की आराधना होगी। वहीं मंगलवार को आश्विन शुक्ल सप्तमी में माता का पट खुलेगा तथा गुरुवार 14 अक्टूबर को महानवमी का महापर्व मनाया जायेगा।

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