भारत की कार्रवाई के बाद बैकफुट पर पाकिस्तान, बिलावल भुट्टो का बदला सुर, कहा- आतंकवाद को पालकर हमने गलती की

नई दिल्ली। हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने एक इंटरव्यू में ऐसा बयान दिया है, जिसने पाकिस्तान के अतीत के काले सच को उजागर कर दिया। स्काई न्यूज की पत्रकार यालदा हाकिम से बातचीत के दौरान बिलावल ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान का अतीत आतंकवाद के समर्थन और उसे बढ़ावा देने से जुड़ा रहा है। उनका यह बयान पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के उस कबूलनामे की पुष्टि करता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने तीन दशकों तक अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों के लिए आतंकवाद को पनाह दी, ट्रेनिंग दी और फंडिंग की। बिलावल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह कोई रहस्य नहीं है कि पाकिस्तान की नीति में कट्टरपंथ को समर्थन मिला। उन्होंने कहा कि इसका खामियाजा पाकिस्तान ने खुद भुगता। आतंकवाद को पालने की नीति ने देश में कट्टरता की लहर पैदा की, जिससे सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने इस नीति से सबक सीखा है और अब वह इस दिशा में सुधार के प्रयास कर रहा है। यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने सिंधु जल समझौते को लेकर सख्त रुख अपनाया था और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया था कि भारत अब आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चला सकता। इसके जवाब में पहले तो बिलावल ने भड़काऊ बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर सिंधु में पानी नहीं बहा तो खून बहेगा। इस बयान की चौतरफा आलोचना हुई, और लगता है कि इसी दबाव में बिलावल को अपनी स्थिति में नरमी लानी पड़ी।बिलावल का यह कबूलनामा न केवल पाकिस्तान की पुरानी रणनीति को बेनकाब करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब पाकिस्तान वैश्विक दबाव और आतंरिक असंतोष के चलते अपनी नीतियों में बदलाव लाने को मजबूर हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज का पाकिस्तान अतीत की नीतियों से प्रभावित नहीं है, और अब आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाए जा रहे हैं। इस स्वीकारोक्ति से यह भी स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान को अब यह समझ आने लगा है कि आतंकवाद को समर्थन देना न केवल पड़ोसी देशों के लिए, बल्कि खुद उसके लिए भी एक घातक भूल थी। अगर पाकिस्तान वाकई अपने अतीत से सबक लेकर बदलाव की ओर बढ़ रहा है, तो यह पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।

You may have missed