नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति कई प्रकार के बंधनों को तोड़ने का माध्यम : डॉ. तनुजा

पटना। आईक्यूएसी और टीपीएस कॉलेज द्वारा ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने किया। मुख्य वक्ता डॉ. तनुजा, वनस्पति विज्ञान विभाग, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय थीं। डॉ. तनुजा ने विस्तारपूर्वक नई शिक्षा नीति के प्रमुख आयामों को पीपीटी माध्यम से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के प्रावधान को अपनाकर हम अपनी शिक्षा के स्तर को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का बना सकते हैं। इसमें एक खुलापन है, जो छात्रों को अपने मनमुआफिक विषय चुनने की आजादी देती है। यह कई तरह के बंधनों को तोड़ने और समाज के आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। वहीं अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. उपेन्द्र सिंह ने एक ससामयिक और महत्वपूर्ण विषय पर परिचर्चा का आयोजन करने के लिए आईक्यूएसी को बधाई दी। इससे पूर्व आईक्यूएसी की कोआर्डिनेटर प्रो. रूपम ने अतिथियों का स्वागत किया और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर परिचर्चा को जरूरी बताया। कहा कि समय के साथ इसका फायदा नजर आयेगा।
विषय प्रर्वतन करते हुए दर्शनशास्त्र के शिक्षक प्रो. श्यामल किशोर ने कहा कि हमारे यहां शिक्षा की परंपरा बहुत पुरानी रही है। हमारे यहां प्राचीन काल में तीन-तीन विश्वविद्यालय थे जब पश्चिम में कोई विश्वविद्यालय नहीं था। परिचर्चा का संचालन प्रो. अबू बकर रिजवी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. कृष्णनंदन प्रसाद ने किया। इस अवसर पर पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की डीन प्रो. रिमझिम शील, प्रो. एसए नूरी, प्रो. शशिभूषण चौधरी, प्रो.धर्मराज राम, प्रो. प्रशांत कुमार, प्रो. नुपूर, प्रो. उषा किरण, प्रो. रघुवंश मणी, डॉ. शशि प्रभा दुबे, डॉ. सुशोभन पलाधि, डॉ. दीपिका, डॉ. शिवम, डॉ. विनय भूषण के अलावा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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