अवैध वसूली के खेल को डीजीपी ने खुद देखा : एक एएसआई और 4 सिपाही को किया सस्पेंड

पटना। बालू से भरे ट्रकों को रोड पर कैसे रोका जाता है? इनके ड्राइवरों से किस प्रकार से अवैध वसूली की जाती है? आम लोग कैसे जाम फंसे रहते हैं? पुलिस वालों के अवैध वसूली के खेल डीजीपी संजीव कुमार सिंघल ने खुद अपनी आंखों से देखा। इसके बाद अवैध वसूली में लगे पुलिस टीम की मौके पर ही उन्होंने जमकर क्लास लगा दिया। फिर शनिवार को वह कार्रवाई की, जिसके बारे में अवैध वसूली करने वालों ने सोंचा भी नहीं होगा। डीजीपी ने अवैध वसूली करते पकड़े गए एक अरक और 4 सिपाही समेत कुल 5 पुलिस वालों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। इन सभी के खिलाफ विभागिय जांच करने के भी आदेश दिए गए हैं।
शुक्रवार की देर रात डीजीपी अचानक से इंस्पेक्शन पर निकल गए थे। जब वो बिहटा थाना क्षेत्र के कोइलवर पुल के पूर्वी हिस्से के पास पहुंचे तो देखा कि यूपी और बिहार नंबर वाली दो ट्रक, जिन पर बालू लोड था। उसे पुलिस वालों ने रोक रखा है। इस कारण वहां पर जाम की स्थिति बन गई। गाड़ियों का परिचालन बाधित हो गया। यह देख डीजीपी खुद वहां मौजूद पुलिस टीम के पास पहुंच गए। उनसे सीधे तौर पर पूछा कि ट्रकों को उन लोगों ने क्यों रोक रखा है? डीजीपी के इस सवाल का सही तरीके से कोई जवाब न तो एएसआई दे पाया और न ही कोई सिपाही। फिर दोनों ट्रक को छोड़कर उसके ड्राइवर भी वहां से भाग निकले।
इसके बाद स्पष्ट हो गया कि सारा माजरा अवैध वसूली का है। डीजीपी के आदेश पर जिन लोगों को सस्पेंड किया गया, उनमें एएसआई मिथलेश कुमार सुमन, सिपाही नीरज कुमार मांझी (2852), शांतनू कुमार (4566), अमित कुमार (131) और मुकेश कुमार (621) शामिल हैं। इनमें सिर्फ मुकेश कुमार मुंगेर जिला पुलिस का सिपाही है। जबकि, बाकी के पुलिस वाले पटना पुलिस में हैं। जितने दिन ये सभी सस्पेंड रहेंगे, उतने दिन इनकी रिपोर्टिंग अपने जिले के पुलिस लाइन में होगी। इन सभी के उपर भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता, ड्यूटी में लापरवाही और पुलिस के लिए अयोग्य होने का आरोप लगा है। डीजीपी ने माना है कि इस पूरे मामले में बिहटा के थानेदार ने भी भारी लापरवाही बरती है। इनके उपर अपनी टीम के अनैतिक काम में शामिल होने पर नियंत्रण नहीं रखने का आरोप लगा है। इस कारण थानेदार को भी शो काउज किया गया है। पूरे प्रकरण पर डीजीपी ने एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों से पूरे मामले की जांच कर 3 दिनों के अंदर रिपोर्ट और अपना स्पष्ट मंतव्य देने का निर्देश दिया है।

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