महावीर मंदिर पटना की छवि धूमिल करने की साजिश,आचार्य किशोर कुणाल ने कहा-ब्रह्मजनों के कोचिंग संस्थान से कोई संबंध नही

पटना।(बन बिहारी)पटना जंक्सन स्थित महावीर मंदिर न्यास द्वारा आज स्पष्ट किया गया है कि महावीर मंदिर का किसी ब्रह्मजनों के लिए चलाए जा रहे कोचिंग संस्थान से कोई सरोकार नहीं है।सोशल मीडिया में किसी ट्वीट को लेकर महावीर मंदिर स्थान न्यास समिति की ओर से सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने पत्र को पोस्ट करके सोशल मीडिया के द्वारा यह जानकारी दी गई। सोशल मीडिया में पोस्ट किए गए आचार्य किशोर कुणाल के पत्र के अनुसार एक एक्टिविस्ट ने ट्वीट किया है कि महावीर मंदिर में बहुजनों द्वारा चढ़ाएं चंदे से पटना में भूमिहार-ब्राह्मण के लिए निशुल्क आवासीय शिक्षण संस्थान खोले जा रहे हैं। आचार्य किशोर कुणाल ने इसे झूठ का पुलिंदा बताया है और कहा है कि महावीर मंदिर को जानबूझकर बदनाम करने की सोची समझी साजिश है।उन्होंने कहा कि लोगों को यह जानना चाहिए कि महावीर मंदिर पटना देश का पहला मंदिर है जिस ने 13 जून 1993 को को रविदास समाज के व्यक्ति को इस मंदिर में पुजारी बनाया और आज भी फलाहारी श्री सूर्यवंशी दास इस महावीर मंदिर में पुजारी हैं।इस मंदिर के मुख्य व्यास और कथावाचक श्री निरंजन भगत कुम्हार जाति के हैं और प्रतिदिन मंदिर में प्रवचन करते हैं।इस मंदिर में बहुत सारे कर्मचारी वंचित वर्ग से है।फिर भी ऐसी टिप्पणी महावीर मंदिर को बदनाम करने के लिए जानबूझकर की गई प्रतीत होती है।सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए अपने पत्र में उन्होंने आगे कहा कि ब्रह्मजन के लिए निशुल्क आवासीय शिक्षण संस्थान खोलने की योजना यदि किसी की है तो उससे महावीर मंदिर का प्रत्यक्ष या परोक्ष कोई सरोकार नहीं है।महावीर मंदिर ने समाज के सभी वर्गों को सदैव अपनी परोपकारी संस्थाओं से सहयोग प्रदान किया है।इसके द्वारा स्थापित सभी अस्पतालों में जाति या धर्म का भेदभाव किए बिना सब को पूरी सुविधा प्रदान की जाती है।महावीर मंदिर की ओर से साल में एक ही शोभायात्रा निकाली जाती है और वह संत रविदास जयंती के अवसर पर।इस मंदिर में आरती के बाद जयकारा लगता है,उसमें ‘जात पात पूछे नहीं कोय हरि को भजे से हरि को होय’। आचार्य किशोर कुणाल ने तीन खंडों में ‘दलित देव: भव:’ पुस्तक लिखी है। जिसके दो खंड प्रकाशन विभाग द्वारा करीब 10 साल पहले छप चुके हैं तीसरा खंड छपने वाला है।आचार्य किशोर कुणाल ने अपने पत्र के माध्यम से उस एक्टिविस्ट को अपना नाम लोगों के बीच लाने के लिए इतने बड़े झूठ का सहारा लेकर ट्वीट नहीं करना चाहिए।जो तथ्यों के विपरीत है।उन्होंने एक्टिवेट से अनुरोध किया है कि वे कि महावीर मंदिर की गतिविधियों को पता कर ले। जब उन्हें यह ज्ञात हो जाए की जो उन्होंने लिखा है वह सरासर झूठ है उसको तत्काल खंडन कर खेद प्रकट करना चाहिए।

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