बिहार विधानसभा चुनाव किस ‘साइड’ रहेंगे पप्पू यादव,राजग तथा महागठबंधन दोनों जगह,हाउसफुल वाली स्थिति

पटना।बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए रणभेरी बज चुकी है।चुनावी महाभारत के कुरुक्षेत्र में दोनों तरफ सेनाएं सज चुकी हैं।बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार इतना तो तय है कि लड़ाई बिल्कुल आमने-सामने की होगी।एक तरफ जदयू-भाजपा-लोजपा गठबंधन तथा एक तरफ राजद कांग्रेस तथा अन्य पार्टियां रहेंगीं।हालांकि अभी दोनों पक्षों के गठबंधन में बदलाव की गुंजाइश कायम है।मसलन लोजपा राजग में रह सकती है या नहीं भी रह सकती है।ठीक उसी प्रकार हम तथा रालोसपा को महागठबंधन में कांग्रेस तथा राजद कैसे एडजस्ट करती है, यह भी अभी कहना मुश्किल है।ऐसे में राज्य के राजनीतिक गलियारों में चर्चित पूर्व सांसद तथा जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव के फ्यूचर पॉलीटिकल स्टैंड को लेकर कयासों का दौर जारी है। दरअसल आगामी विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव नामक ऊंट किस करवट बैठेगा यह अभी तय नहीं है।पटना का जल प्रलय हो अथवा लॉकडाउन के दौरान गरीबों के लिए उपजी मुसीबतें हो, हर जगह पप्पू यादव अपने सेवा कार्य के बदौलत छाए रहें। पिछले लोकसभा चुनाव के पूर्व से अभी तक पप्पू यादव दिल्ली से लेकर पूर्णिया वाया पटना जन समस्याओं को लेकर अपनी अनूठी राजनीति के कारण जनता के फोकस में बने रहते हैं।पटना जल प्रलय में पप्पू यादव के द्वारा किए गए कार्य अभी तक सराहे जाते हैं।लेकिन बिहार की राजनीति के धरातल में पूर्व सांसद पप्पू यादव तथा उनकी पार्टी जन अधिकार पार्टी फिलहाल अपना कोई स्टैंड तय नहीं कर पाई है।इस बात में कोई दो राय नहीं है की जन अधिकार पार्टी तथा पूर्व सांसद पप्पू यादव का स्टैंड वर्तमान सरकार के खिलाफ ही रहा है।नीतीश सरकार की आलोचना के लिए विपक्ष में प्रमुख भूमिका निभाने वाली पप्पू यादव की पार्टी चुनाव में भाजपा जदयू के साथ तो कतई नहीं जा सकती हैं। मगर महागठबंधन में भी जन अधिकार पार्टी का सामंजस्य स्थापित होना फिलहाल मुमकिन नहीं दिखता।महागठबंधन में राजद तथा कांग्रेस के बीच पहले से ही सीटों के बंटवारे को लेकर मारामारी का माहौल है।कांग्रेस प्रेशर पॉलिटिक्स कर रही है।दूसरी तरफ राजद भी अपने साथ वालों को बहुत तवज्जो नहीं दे रहा है।ऐसे में महागठबंधन के अंदर पहले से ही जीतन राम मांझी की पार्टी हम,उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा तथा मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी के एडजस्टमेंट को लेकर उहापोह का माहौल है।ऐसे में जन अधिकार पार्टी का महागठबंधन में जगह बनाना थोड़ा मुश्किल दिख रहा है।हां,यदि पूर्व सांसद पप्पू यादव कम सीटों पर संतोष करने के लिए तैयार हो जाते हैं।तो बात अलग है।फिलहाल बिहार की राजनीति में जनसमस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर राजनीति करने वाले पूर्व सांसद पप्पू यादव के विधानसभा चुनाव के दौरान स्टैंड को लेकर राज्य की आम जनता भी उनके निर्णय की प्रतीक्षा कर रही है।

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