5 साल बाद रोहिणी नक्षत्र के सुयोग में करवा चौथ 24 अक्टूबर को, जानिए पौराणिक कथा

  • वरीयान योग व रविवार दिन होने से बना अनूठा संयोग

पटना। अखंड सुहाग के लिए सुहागिन महिलाएं कार्तिक कृष्ण चतुर्थी रविवार 24 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत करेंगी। पति की लंबी उम्र एवं उन्नत गृहस्थ जीवन के लिए यह व्रत ग्रह-गोचरों व दिनमान के अद्भुत संयोग में मनाई जाएगी। इस दिन चतुर्थी माता (करवा माता) और गणेश जी की पूजा की जाती है। सुहागिन स्त्रियों को करवा चौथ का व्रत करने से अखंड सौभाग्य व पति को अक्षुण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनका गृहस्थ जीवन सुखमय व्यतीत होता है। सुहागन महिलाएं यह व्रत व उपवास अपने पति के प्रति समर्पित होकर उनके उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु तथा जन्म-जन्मांतर तक पुन: पति रूप में प्राप्त करने हेतु मंगल कामना करती हैं। करवा चौथ के दिन में महिलाएं कथा सुनने के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं। प्रेम, त्याग व विश्वास के महापर्व में मिट्टी के करवे से रात्रि बेला में चंद्रदेव को जल अर्पण कर व्रत पूर्ण करेंगी।
पांच साल बाद रोहिणी नक्षत्र में करवा चौथ
ज्योतिषाचार्य व कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा ने बताया कि करवा चौथ पर रविवार दिन, रोहिणी नक्षत्र, वरीयान योग का अनूठा संयोग बन रहा है। इस बार करवा चौथ पर पांच साल बाद रोहिणी नक्षत्र का संयोग बना है। इस योग में पूजन से विघ्नहर्ता गणेश के साथ सूर्यदेव की अपार कृपा बरसेगी। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गणेश की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं, इसीलिए इस चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी की संज्ञा दी गई है। इस शुभ योग में नया काम या कोई शुभ कृत का फलाफल जल्द मिलता है। इस दिन निवेश, आभूषण की खरीदारी, वाहन, लेन-देन करना शुभ रहेगा।
शिव-पार्वती के साथ गणेश-चंद्र की होगी पूजा
ज्योतिषी झा नारद पुराण के हवाले से बताया कि व्रती महिलाएं सोलह श्रृंगार कर सायंकाल में भगवान भोलेनाथ, गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय एवं चन्द्रमा की पूजा करने के बाद चंद्र को चलनी से देखती हैं और उन्हें अर्घ्य देती हैं। अर्घ्य में दूध, शहद, मिश्री और नारियल प्रदान किया जाएगा। मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा से मन की शांति मिलती है। इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी की आराधना करने से अचल संपति, धन-धान्य के अलावे दाम्पत्य सुख का आशीर्वाद मिलता है।
चलनी से छन कर व्यवहार व विचार होते शुद्ध
पंडित झा ने कहा कि व्रती चलनी से चंद्र दर्शन के बाद अपने पति को उसी चलनी से देखती हैं। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार चलनी से पति को देखने से पत्नी के व्यवहार और विचार दोनों छन कर शुद्ध हो जाते हैं। पति के लिए किया जाना वाला इस व्रत के बारे में संत कवि तुलसीदास ने रामचरित मानस में वर्णित किये हैं कि मातु पिता भगिनी प्रिय भाई। प्रिय परिवारु सुहरद समुदाई। सासु ससुर गुर सजन सहाई। सुत सुंदर सुसील सुखदाई॥ जहं लगि नाथ नेह अरु नाते पिय बिनु तियहि तरनिहु ते ताते। तनु धनु धामु धरनि पुर राजू। पति बिहीन सबु सोक समाजू॥’ अर्थात, माता, पिता, बहन, प्यारा भाई, प्यारा परिवार, मित्रों का समुदाय, सास, ससुर, गुरु, स्वजन, सहायक और सुंदर सुशील और सुख देने वाला पुत्र, हे नाथ! जहां तक स्नेह और नाते हैं, पति के बिना स्त्री को सभी सूर्य से बढ़ कर तपाने वाले हैं। शरीर, धन, घर, पृथ्वी, नगर और राज्य, पति के बिना स्त्री के लिए यह सब शोक का समाज है।
सूर्योदय से पूर्व करेंगी सरगही
पंडित झा ने बताया कि रविवार की अहले सुबह सूर्योदय से पूर्व सुहागिन महिलाएं सरगही करेंगी। सास के हाथों व्रती महिलाएं सरगही के सामान ग्रहण करेंगी। सरगही की थाली में सास अपनी बहुओं को कपड़े, नारियल, सेवई, फल-मेवा आदि सौपेंगी। सरगही करने के बाद महिलाएं व्रत का संकल्प लेंगी और पूरे दिन उपवास रखेंगी।
इन मंत्रों से करे पूजा मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान
माता पार्वती- ॐ उमा दिव्या नम:, भगवान शिव के लिए- ॐ नम: शिवाय, ॐ षण्मुखाय नम: से कार्तिकेय का, ॐ गणेशाय नम: से गणेश का और ॐ सोमाय नम: से चंद्रमा का पूजन करने से मनोकामना पूर्ण तथा अखंड सौभाग्य का वरदान भी मिलेगा।
करवा चौथ की पौराणिक कथा
एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी सहित उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। उसके भाईयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा- चांद निकल आया है। अर्घ्य देकर भोजन कर लो, यह सुनकर उसने अपने भाभियों से कहा कि आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्य दो। उन्होंने कहा बाई जी! अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई तुमसे धोखा किये हैं। भाभियों की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान ना दिया एवं भाईयों द्वारा दिखाए गए प्रकाश को ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार व्रत भंग होने से गणेश जी अप्रसन्न हो गए। उसका पति बीमार हो गया। जो कुछ घर में था, उसकी बीमारी में खत्म हो गया। उसने गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए चतुर्थी का व्रत किया। जिससे उसकी सारी परेशानी दूर हो गई।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त
प्रदोष काल : संध्या 05:36 बजे से 07:06 बजे तक
चंद्रोदय अर्घ्य : रात्रि 08:06 बजे के बाद
पति के भरपूर स्नेह पाने हेतु राशि के अनुसार धारण करे वस्त्र
मेष : लाल या गोल्डन
वृष : सिल्वर या लाल
मिथुन : हरा
कर्क : लाल या सफेद
सिंह : संतरी, गुलाबी, लाल या गोल्डन
कन्या : गोल्डन, हरा व लाल
तुला : लाल या सिल्वर
वृश्चिक : मैरून, गोल्डन या लाल
धनु : पीला या आसमानी
मकर : इलेक्ट्रिक ब्लू
कुंभ : नेवी ब्लू या सिल्वर
मीन : लाल या गोल्डन

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