नीतीश जी कैसे लगेगा भू माफियाओं पर अंकुश : मंत्री ने खोली पोल- भू माफिया की सूची में राजनेता से लेकर अधिकारी तक शामिल

पटना। राजस्व एवं भूमि सुधार में तबादले पर सीएम नीतीश द्वारा रोक लगाए जाने के बाद मंत्री रामसूरत कुमार ने शनिवार को स्पष्ट कर दिया है कि अभी भी विभाग में भू माफिया पूरी तरह से सक्रिय हैं। भू माफियाओं की सूची में राजनेता, अधिकारी और कर्मचारी तक शामिल हैं। यहां तक की कई आईएएस भी हैं। इन माफियाओं की लाबी की नजर जमीन पर टिकी हुई है। वे पिछले 20 महीने से इन माफियाओं को ध्वस्त करने में लगे हैं। कई नए कानून बनाए गए हैं। भू माफियाओं पर बुलडोजर चले हैं। मंत्री के बयान के बाद इतना तो स्पष्ट हो गया कि बिहार में जमीन का विवाद इतनी आसानी से खत्म नहीं किया जा सकता, जितना कि नीतीश सरकार सोच रही है।
मंत्री ने कहा कि 80 अंचलाधिकारियों के तबादले विधायकों एवं विधान पार्षदों के आग्रह पर किए गए हैं। इनमें एनडीए के अलावा दूसरे दलों के भी विधायक हैं। उनके पास प्रमाण है। इससे यही समझा जा सकता है कि आखिर राज्य में जमीन से जुड़े मामले कम होने का नाम क्यों नहीं ले रहा है। गरीब-गुरबों की जमीनों पर राजनेता, अधिकारी और कर्मचारी की गिद्ध दृष्टि है। यही कारण है कि वे अपने पसंदीदा अधिकारियों की पोस्टिंग कराने के लिए पैरवी करते हैं ताकि वे आसानी से गरीब-गुरबों की जमीन फर्जी कागजातों के आधार पर हथिया सके। बिहार के अन्य जिलों को छोड़ दीजिए, पटना के कई इलाकों में दबंग भू माफिया लोगों की वर्षों से परती जमीन हथिया रहे हैं या हथियाने की जुगत में जुटे रहते हैं। भू माफियाओं को किसी न किसी रूप में संरक्षण मिलता है, जिससे वे कानून को चुनौती देते हुए जमीन हड़पने पर आमदा हैं। वहीं कई गरीब भू-स्वामी दबंगों से विवाद न कर जमीन छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं या केस लड़ते-लड़ते वे थक हार जाते हैं। सवाल उठता है कि ऐसे में नीतीश सरकार के सुशासन का राज कैसे स्थापित होगा। क्या इसी तरह बिहार में भू माफियाओं द्वारा गरीबों की जमीन हड़पने की प्रथा चलती रहेगी।

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