14 वर्षों बाद रवियोग में हरितालिका तीज व्रत गुरूवार को, अखंड सौभाग्य की कामना से होगी शिव-पार्वती की पूजा

पटना। सुहागिन महिलाओं के अखंड सुहाग के लिए किया जाने वाला हरितालिका तीज कल गुरुवार को भाद्रपद शुक्ल तृतीया के हस्त नक्षत्र व शुक्ल योग में मनाया जाएगा। भाद्र शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा तिथि के क्षय होने से भाद्र शुक्ल के दूसरे दिन ही हरितालिका तीज पड़ रहा है। सुहागिनें पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना से निराहार व निर्जला व्रत रखेंगी। शिव के समान सुयोग पति की कामना के लिए इस व्रत को कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करेगी। कल मिट्टी से भगवान शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर उसे वेदोक्त मंत्रों से विधिवत पूजा-अर्चना की जाएगी।
14 वर्षो बाद रवियोग में तीज
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि कल भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र, शुक्ल व जयद योग के साथ 14 वर्षो बाद रवियोग में हरितालिका तीज व्रत मनाया जाएगा। भाद्रपद शुक्ल तृतीया को गुरुवार दिन, तैतिल करण के होने से पुण्यप्रद संयोग बन रहा है। इस पुण्य योग में व्रत करने से अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि, निरोग काया एवं पति की चिरायु, यश-वैभव, कीर्ति के साथ सर्व मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मिलेगा। तीज व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि होगी तथा शिव-पार्वती उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान भी देंगे।
तपस्या और निष्ठा का व्रत है हरितालिका
पंडित झा ने लिंग पुराण के हवाले से बताया कि माता पार्वती ने वन में जाकर भोलेनाथ को अपने पति के रूप में पाने के लिए अन्न तथा जल ग्रहण किये वगैर सालों तक तप करती रही, तब शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किए थे। महिलाएं इस व्रत को तपस्या और निष्ठा के साथ करेंगी तो सात जन्मों तक शिव स्वरूप में उनके वही पति मिलेंगे।
त्रेता युग से हरितालिका तीज व्रत की परंपरा
हरितालिका तीज व्रत की परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है। माता पार्वती ने पहली बार शिव शंकर की बालुकामयी प्रतिमा बनाकर पूजा की थी। आज भी महिलाएं मिट्टी से भोलेनाथ-गौरी की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करती हैं। पूरे दिन निराहार या फलाहार रहकर पूरे विधि-विधान से पूजा कर कथा श्रवण करती हैं।
संतान की दीर्घायु के लिए चौथचंद्र (चउरचन) व्रत शुक्रवार को
ज्योतिषी पंडित राकेश झा ने कहा कि बिहार में खासकर मिथिलांचल के प्रसिद्ध त्योहार चौथचंद्र (चउरचन) व्रत शुक्रवार को स्वाति नक्षत्र, ब्रह्म व रवियोग के युग्म संयोग में मनाया जाएगा। श्रद्धालु संतान के दीर्घायु, आरोग्य एवं निष्कलंक के लिए ऋतूफल, दही तथा पकवान हाथ में लेकर चंद्र दर्शन करते हैं। इस दिन चन्द्रमा के पूजन एवं अर्घ्य देने से मनोविकार से मुक्ति, आरोग्यता, ऐश्वर्य, संतान के दीघार्यु होने का वरदान मिलता है। इसी दिन गणेश भगवान ने चन्द्रमा को श्रापमुक्त करके शीतलता एवं सौंदर्य का वरदान दिए थे।
हरितालिका तीज पूजन शुभ मुहूर्त
उद्या तिथि के अनुसार- सूर्योदय से लेकर पूरे दिन
चर मुहूर्त : सुबह 10:13 बजे से 11:47 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:22 बजे से 12:11 बजे तक
अमृत मुहूर्त : दोपहर 01:20 बजे से 02 :53 बजे तक
शुभ मुहूर्त : 04:26 बजे से 05:59 बजे तक
प्रदोष मुहूर्त : शाम 05:26 बजे से रात्रि 08:51 बजे तक
राशि के अनुसार करें तीज पूजा
मेष – शिव जी को पंचामृत से स्नान के बाद रेशमी वस्त्र अर्पित करें।
वृष – शिव-पार्वती के पूजा में गुलाब का पुष्प व इत्र अर्पण कर धूप दिखाए।
मिथुन व मीन – हरा वस्त्र धारण कर पूजा में मां पार्वती को हल्दी व भोलेनाथ को सफेद चंदन अर्पित करें।
कर्क – पूजा के बाद शिव का श्रृंगार तथा ॐ नम: शिवाय का जाप श्रेयस्कर होगा।
सिंह – शिव-पार्वती को पीत पुष्प का हार चढ़ाकर रुद्राष्टकम का पाठ करें।
कन्या – शिव जी को बेलपत्र और दूर्वा चढ़ाए क मेहंदी जरूर लगाएं।
तुला – महादेव को पंचामृत से स्नान करावे और साथ ही श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें क
वृश्चिक – पीला वस्त्र धारण करके शिव-पार्वती की आराधना और पूजा करे साथ ही दूर्वा अर्पित करें।
धनु – लाल वस्त्र धारण कर पूजा में शिव-पार्वती को सुगन्धित पुष्प अर्पित करें।
मकर – भगवान शिव को सफेद चंदन तथा घी का दीपक प्रज्वलित करें।
कुंभ – गुलाबी वस्त्र धारण कर पूजा में महादेव को श्वेत पुष्प अर्पित करें।

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