बाढ़ में बैशाखी मेला पर गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

बाढ़। बैशाखी के दिन बाढ़ के उत्तरवाहिनी गंगा तट पर हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई और शिवालयों में पूजा-अर्चना कर जलाभिषेक किया। बता दें हर साल बाढ़ के उमानाथ धाम में 14 अप्रैल को विशुआ मेला (वैशाखी) का आयोजन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में कई जिलों से लोग गंगा स्नान करने के लिए आते हैं। सिख समुदाय के लोग इस दिन को नए साल के रूप में मनाते हैं क्योंकि इस दिन फसलें पूरी तरह पक जाती है और कटाई शुरू हो जाती है।
वहीं हम अगर धार्मिक महत्व की बात करें तो बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है, अत: इसे मेष सक्रांति भी कहा जाता है। सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने बैसाखी के दिन ही 1699 ईस्वीं में खालसा पंथ की नींव रखी थी। खालसा खालिस शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है पावन या पवित्र। इसलिए संक्रांति की बेला में धार्मिक महत्व के दृष्टिकोण से लोग गंगा स्नान कर अपने आप को पावन करते हैं। इस दिन किसान तैयार रबी फसल के अन्न को भगवान पर चढ़ाकर खुद ग्रहण करते हैं। क्योंकि इस दिन चने एवं जौ की सत्तू का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में लोगों के द्वारा ग्रहण किया जाता है इसलिए इसे सतवानी मेला के नाम से भी जाना जाता है। मेले में तरह-तरह के गर्मी के दिनों में होने वाले फल तथा सब्जियों का बाजार भी लगाया गया। मेले में प्रशासन की मुकम्मल व्यवस्था नहीं देखी गई। हालांकि तीन-चार पुलिसकर्मी मौके पर तैनात देखे गए जो कि अपर्याप्त थे। वहीं घाट पर एसडीआरएफ की टीम मौजूद थी।

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