ईद पर शिक्षकों और कर्मचारियों को नहीं मिलेगा वेतन और पेंशन, पाठक ने फ्रिज किया सभी विश्वविद्यालयों के अकाउंट

पटना। बिहार के हजारों कर्मचारियों और रिटायर्ड कर्मियों के घर ईद के दिन खुशियां नहीं मनाई जायेगी। कर्मचारियों को ईद के मौके पर वेतन नसीब नहीं होगा। पेंशन के सहारे जी रहे रिटायर्ड कर्मचारियों-अधिकारियों को पेंशन नहीं मिलेगा। ऐसे इसलिए नहीं हो रहा है कि ये सब कसूरवार हैं, कार्यरत कर्मचारियों-अधिकारियों के साथ साथ पेंशनरों की कोई गलती नहीं है, लेकिन सजा उन्हें ही भुगतनी पड़ रही है। ये हाल है बिहार के यूनिवर्सिटी और कॉलेज में काम कर रहे शिक्षकों और कर्मचारियों का। उन्हें ईद के मौके पर भी वेतन नहीं मिलेगा। पेंशन के पैसे से जी रहे रिटार्यड कर्मचारियों और शिक्षकों को भी पेंशन नहीं मिलेगा। कई महीने से वेतन और पेंशन रूका है। लेकिन चूंकि केके पाठक जी नाराज हैं, इसलिए ना वेतन मिलेगा और ना पेंशन। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने विश्वविद्यालयों का खाता फ्रीज करा दिया है। बैंकों को पत्र लिख कर सारे यूनिवर्सिटी का अकाउंट फ्रीज करा दिया गया है। दिलचस्प बात ये है कि राज्य सरकार की ओर से यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में काम करने वाले कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए फरवरी महीने का वेतन तो भेजा गया है।  लेकिन सरकार ने ही खाता फ्रीज करा रखा है। लिहाजा यूनिवर्सिटी का खाता फ्रीज होने के कारण इसे कर्मचारियों और शिक्षकों के बीच बांटा नहीं जा सकता। कई विश्वविद्यालयों में जनवरी से ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों और शिक्षकों को पेंशन नहीं दिया जा रहा है। बिहार राज्य विश्वविद्यालय-कॉलेज सेवानिवृत्त शिक्षक संघ के प्रो। युगेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि राजभवन और शिक्षा विभाग की लड़ाई में शिक्षक-कर्मचारी त्राहिमाम कर रहे हैं। कई-कई महीने से वेतन और पेंशन नहीं मिलने के कारण घर चलाने की परेशानी के साथ-साथ कर्ज का ईएमआइ का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। यूनिवर्सिटी शिक्षकों के संघ फुटाब के महासचिव और विधान पार्षद डॉ। संजय कुमार सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालयों के खाते से रोक हटाने को लेकर शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को आवेदन दिए एक सप्ताह से अधिक हो चुके हैं। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। संजय कुमार सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय और कालेज के शिक्षक-कर्मचारी, सेवानिवृत्त लोगों को तीन महीने से वेतन और पेंशन नहीं मिल रहा है। पूरी सरकार और सिस्टम अमानवीय हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ऐसे अमानवीय पदाधिकारियों के खिलाफ अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए। राजभवन और शिक्षा विभाग की लड़ाई में शिक्षक और पेंशनर क्यों परेशान हो रहे हैं। उनके जीवन-यापन पर संकट आ गया है। ईंद जैसे त्योहार में कर्ज लेकर काम चलाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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