बिहार के पावर कॉरिडोर में बेचैनी बढ़ी,सीएम के खास के बेटे तक पहुंची ईडी जांच,पूछताछ हुआ तो बढ़ेगा जदयू-भाजपा में बवाल
पटना।भले ही पटना उच्च न्यायालय के द्वारा रेप मामले में बढ़िया आईएएस अधिकारी संजीव हंस को राहत दी गई है।मगर ईडी के द्वारा आईएएस संजीव हंस तथा पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ की गई कार्रवाई ने सूबे के एक बड़े अधिकारी,जो सीएम नीतीश कुमार के बेहद करीबी हैं, तथा रिटायर होने के बावजूद सेवा विस्तार के बदौलत अभी तक लगातार पावरफुल पोस्ट पर बने रहे उनके पुत्र तक ‘जांच की आंच’ को पहुंचा दिया है।अभी इस जांच की आंच की तपिश से प्रदेश के सबसे बड़े साहब का पूरा किचन केबिनेट झुलस रहा है। वैसे ईडी के द्वारा भी वर्तमान हालात को देखते हुए कार्रवाई की जा रही है।जानकारी के मुताबिक उक्त बड़े अधिकारी के पुत्र को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है।मगर अभी तक वह पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए हैं।इस पूरी प्रक्रिया को बेहद गोपनीय रखा गया है। इसके अलावा भी आईएएस अधिकारी संजीव हंस के हाथ की गई छापेमाली तथा उनके करीबियों से पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय को बिहार में चल रहे अरबों के सरकारी ठेकों में करोड़ों के दलाली की सिक्रेट डील के सबूत हाथ लगे हैं।
प्रदेश के सत्ता के गलियारों और ब्यूरोक्रेटिक लॉबी में पावरफुल माने जाने वाले इस आईएएस के बेटे तक ईडी का पहुंचना संजीव हंस समेत प्रदेश के कई करप्ट ब्यूरोक्रेट तथा बड़े निर्माण करने वाली बाहरी कंस्ट्रक्शन कंपनियों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
यहां यह भी उल्लेखनीय रहेगा की हाल में ही दिल्ली की एक अदालत ने ईडी की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा की पिछले 10 वर्षों में इसने पांच हजार से अधिक केस दर्ज किए लेकिन आरोपियों को सजा सिर्फ 40 केसों में ही हुई। यानी 4960 केसों में ईडी आरोप प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं जुटा पाई। लेकिन इसके कई राज्यों में ईडी की कार्रवाई ने वहां के सत्तारूढ़ पार्टियों को बड़े मुसीबत में डाल रखा है। बिहार में करप्ट ब्यूरोक्रेसी तथा सत्ता के दलालों के मिली भगत से जो भ्रष्टाचार की नींव कई विभागों में जमी हुई है।अगर ईडी अपने कार्रवाई का दायरा बढ़ाती है।तो कई बड़े भ्रष्टाचार के कारनामों का पर्दाफाश हो जाएगा।