देश में वैलेट पेपर से चुनाव कराने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

  • शीर्ष अदालत बोली- बेवजह सिस्टम में दखल देना सही नहीं, ईवीएम-वीवीपैट पर्ची का मिलान नहीं

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद काउंटिंग के दौरान वीवीपैट पर्चिंयों के 100 फीसदी मिलान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर आज फैसला आ गया है। कोर्ट ने यह मांग ठुकरा दी है। साथ ही बैलेट पेपर से चुनाव कराने की याचिका को भी सिरे से खारिज कर दिया है, जो कि विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा झटका है। सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम की विश्वसनीयता को चुनौती देने वाली इन याचिकाओं को खारिज करते हुए दो आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि हम दो निर्देश दे रहे हैं। पहला की सिंबल लेडिंग यूनिट पूरी तरह से सील हो, और दूसरा ये कि वीवीपैट पूरी तरह से चेक किए जाएं। गौरतलब है कि कई संगठनों ने चुनावी प्रक्रिया को लेकर एक याचिका दाखिल की थी कि ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों का मिलान भी किया जाए। इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने की और चुनाव आयोग को इस मामले में राहत देते हुए सभी मांगों को खारिज करक दिया है।
ईवीएम-वीवीपैट का 100 फीसदी मिलान नहीं किया जाएगा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट तौर पर कहा है कि मतदान ईवीएम मशीन से ही होगा और ईवीएम-वीवीपैट का 100 फीसदी मिलान नहीं किया जाएगा। 45 दिनों तक वीवीपैट की पर्ची सुरक्षित रहेंगी, ये पर्चियां उम्मीदवारों के हस्ताक्षर के साथ सुरक्षित रहेंगी। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि उम्मीदवारों के पास नतीजों की घोषणा के बाद टेक्निकल टीम द्वारा ईवीएम के माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा, जिसे चुनाव की घोषणा के सात दिनों के भीतर किया जा सकेगा। गौरतलब है कि वर्तमान में वीवीपैट वेरिफिकेशन के तहत लोकसभा क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के सिर्फ पांच मतदान केंद्रों के ईवीएम वोटों और वीवीपैट पर्ची का मिलान होता है। इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में सिर्फ पांच रैंडमली रूप से चयनित ईवीएम को सत्यापित करने के बजाय सभी ईवीएम वोट और वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर ईसीआई को नोटिस जारी किया था और अब ईसीआई को ही राहत भी मिल गई है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि सिस्टम में दखल से बेवजह शक पैदा होगा। हमने प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है। हमने 2 निर्देश दिए थे। पहला- सिंबल लोडिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को सील कर दिया जाए। सिंबल लोडिंग यूनिट को 45 दिन तक स्टोर रखा जाए। इससे पहले 24 अप्रैल को 40 मिनट की सुनवाई के बाद बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि हम मेरिट पर दोबारा सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम कुछ निश्चित स्पष्टीकरण चाहते हैं। हमारे कुछ सवाल थे और हमें जवाब मिल गए हैं। फैसला सुरक्षित रख रहे हैं।
अगस्त 2023 में लगाई गई थी याचिका
वीवीपैट पर्चियों की 100% वेरिफिकेशन को लेकर एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल ने अगस्त 2023 में याचिका लगाई गई थी। याचिका में कहा गया कि वोटर्स को वीवीपैट की पर्ची फिजिकली वेरिफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। वोटर्स को खुद बैलट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाएगी। इस केस में याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े पैरवी कर रहे हैं। प्रशांत एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की तरफ से हैं। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से अब तक एडवोकेट मनिंदर सिंह, अफसरों और केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद रहे हैं।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ईसी से पूछा था- क्या वोटर्स को वीवीपैट पर्ची नहीं दी जा सकती
इससे पहले 18 अप्रैल को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने 5 घंटे वकीलों और चुनाव आयोग की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या वोटिंग के बाद वोटर्स को वीवीपैट से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है। इस पर चुनाव आयोग ने कहा था वोटर्स को वीवीपैट स्लिप देने में बहुत बड़ा रिस्क है। इससे वोट की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल दूसरे लोग कैसे कर सकते हैं, हम नहीं कह सकते। कोर्ट ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में चुनाव आयोग के वकील से ईवीएम और वीवीपैट की पूरी प्रक्रिया समझी। साथ ही कहा कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता कायम रहनी चाहिए। शक नहीं होना चाहिए कि ये होना चाहिए था और हुआ नहीं।
पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार उठा है मुद्दा
2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सभी ईवीएम में से कम से कम 50 प्रतिशत वीवीपैट मशीनों की पर्चियों से वोटों के मिलान करने की मांग की थी। उस समय, चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक ईवीएम का वीवीपैट मशीन से मिलान करता था। 8 अप्रैल, 2019 को मिलान के लिए ईवीएम की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी थी। इसके बाद मई 2019 कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी ईवीएम के वीवीपैट से वेरिफाई करने की मांग की याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा ही संदेह करने लगते हैं।

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