इंडिया गठबंधन के सांसदों का संसद परिसर में केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन, एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर लगाए नारे

नई दिल्ली। संसद भवन परिसर में विपक्षी दलों के सांसदों ने केंद्र सरकार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) समेत केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। विपक्ष के प्रमुख सांसदों में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के साथ तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसद मौजूद रहे।
तख्तियों के साथ की गई नारेबाजी
इस दौरान विपक्षी नेताओं ने विपक्ष को चुप कराने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग बंद करो और भाजपा में जाओ भ्रष्टाचार का लाइसेंस पाओ, ‘विपक्ष का सम्मान करें, डराना-धमकाना बंद करें! लिखी तख्तियों के साथ नारेबाजी भी की। वहीं आम आदमी पार्टी के कुछ सांसदों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाखों के पीछे खड़े होने के पोस्टर भी दिखाए।
ये सभी सांसद भी हुए शामिल
विपक्षी सांसदों में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस सांसद शशि थरूर, केसी वेणुगोपाल, मनीष तिवारी, के सुरेश, वर्षा गायकवाड़, बेनी बेहनन, एंटो एंटनी, केरल कांग्रेस (एम) के सांसद जोस के. मणि, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, सांसद राघव चड्ढा, तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और सीपीआई (एम) के जॉन ब्रिटास समेत कई सांसदों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
विपक्षी दल के सांसद लगा रहे आरोप
बता दें कि विपक्षी दल केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि विपक्ष को चुप कराने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मंत्रियों, झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन और टीएमसी मंत्रियों की ईडी और सीबीआई की तरफ से की मामलों में गिरफ्तारी की गई है।
क्यों गर्माया एजेंसियों की कार्रवाई का मुद्दा
विपक्ष का ये प्रदर्शन ऐसे समय में हुआ है, जब दिल्ली की एक अदालत ने कथित आबकारी घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पिछले सप्ताह सीबीआई ने उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था। इससे पहले, उन्हें आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शुक्रवार को राज्य उच्च न्यायालय की तरफ से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दिए जाने के बाद रिहा कर दिया गया, जिसमें कहा गया था कि वह दोषी नहीं हैं और याचिकाकर्ता की तरफ से जमानत पर कोई अपराध करने की कोई संभावना नहीं है।
